बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी के अपने फैसले पर एक बार फिर राज्य में सर्वेक्षण कराने वाले हैं। उन्होंने शनिवार को कहा कि राज्य के कर्मचारी घर घर जाकर लोगों की इस नीति पर राय लेंगे। जाहिर है कि सरकारें जब सर्वेक्षण या जनमत संग्रह कराती हैं तो नतीजा वही आता है, जो सरकारें चाहती हैं। दिल्ली में इस तरह के सर्वेक्षण अरविंद केजरीवाल कितनी बार करा चुके हैं, जिनके नतीजे लोगों को पहले से पता होते हैं। सो, बिहार में भी शराबबंदी पर सर्वेक्षण होगा तो नीतीश के मन लायक ही नतीजे आएंगे। लोग इसकी तारीफ करेंगे और महिलाएं इसे बनाए रखने की वकालत करेंगी।
लेकिन सवाल है कि क्या राज्य सरकार का इस कानून को लेकर कोई और इरादा है? ध्यान रहे पिछले कुछ दिनों से इस कानून में काफी ढील दी गई है। इस बीच नकली और जहरीली शराब पीकर लोगों की मौत होने की घटनाएं भी बहुत बढ़ गई हैं। अदालत का रुख अलग से सख्त है और नीतीश कुमार की सहयोगी पार्टी राजद के कई नेता चाहते हैं कि यह कानून या तो खत्म किया जाए या इसमें कुछ और ढील दी जाए। तभी अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले शराबबंदी पर सर्वेक्षण कराने के फैसले पर सवाल उठ रहा है। इसे लेकर दोनों तरह की बातें कही जा रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश सर्वेक्षण के नतीजों से ज्यादा जोर-शोर से इसका प्रचार करेंगे तो दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि कुछ और ढील का ऐलान किया जा सकता है।