वैसे तो दिल्ली की झुग्गी बस्तियों और निम्न आय मध्य वर्ग की बस्तियों में मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी उपलब्ध कराने के अलावा दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। उसका स्कूल और अस्पताल के मॉडल की भी हकीकत सबको पता चल गई है। अस्पतालों की हालत तो कोरोना के समय दिखी थी। स्कूलों में भी रंग-रोगन और कॉस्मेटिक सर्जरी के अलावा कुछ नहीं हुआ है। यमुना नदी की बदहाली भी सबके सामने है। लेकिन वायु प्रदूषण रोकना दिल्ली सरकार की सबसे बड़ी विफलता है। आम आदमी पार्टी दिल्ली में प्रदूषण खत्म कर देने का दावा करती थी। मौसम यानी बारिश और हवा की रफ्तार के कारण जब वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार होता था तो अरविंद केजरीवाल रोज ट्विट करके बताते थे कि एक्यूआई कितना कम हो गया। लेकिन अब लगता है कि वे कोई ट्विट नहीं करते हैं।
उनकी पार्टी हर साल सर्दियों में दावा करती थी कि पंजाब में पराली जलाए जाने की वजह से दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है और अगर उनकी पार्टी की सरकार पंजाब में बन जाती तो वे पराली जलाया जाना बंद करा कर दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त कर देंगे। लेकिन पंजाब में उलटे पराली जलाने की घटनाएं बढ़ गई हैं और अब केजरीवाल की पार्टी ने कहना शुरू किया कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा है। यानी उनकी सरकार हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बने तब वे दिल्ली के प्रदूषण से मुक्त कर पाएंगे! हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण रोकने का एक भी ठोस उपाय नहीं किया है। प्रदूषण बढ़ने पर ग्रेडेड रिएक्शन एक्शन प्लान यानी ग्रैप लागू करके गाड़ियां रूकवा देना, निर्माण कार्य रूकवा देना, स्कूल बंद कर देना आदि कोई उपाय नहीं है। आप के सारे नेता बयानबाजी करके लोगों का ध्यान भटका रहे हैं और मान रहे हैं कि दो महीने में फिर सब ठीक हो जाएगा तो लोग भूल जाएंगे और तब अगले साल की अगले साल देखेंगे।