कांग्रेस और दूसरी तमाम विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेता अयोध्या नहीं जा रहे हैं। सबने अपने अपने तरीके से निमंत्रण अस्वीकार कर दिया है। कांग्रेस, राजद जैसी कुछ पार्टियों को छोड़ कर ज्यादातर विपक्षी नेताओं ने कहा है कि वे 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या जाएंगे। सो, विपक्षी नेताओं के लेकर किसी तरह का सस्पेंस नहीं है। सबने 22 जनवरी का अपना अपना कार्यक्रम भी तय कर लिया है। लेकिन सत्तापक्ष यानी भाजपा के नेताओ को लेकर आखिरी दिन तक सस्पेंस बना रहा। इतना ही नहीं प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले यानी रविवार की शाम तक स्पष्ट नहीं हुआ कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रही हैं या नहीं। उनको न्योता मिल गया था और राष्ट्रपति भवन की ओर से कहा गया था कि सही समय पर महामहिम राष्ट्रपति अयोध्या जाने के बारे में फैसला करेंगी। गौरतलब है कि सोमवार को दोपहर सवा 12 बजे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठ होनी है।
कार्यक्रम से दो दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कर दिया कि वे अयोध्या नहीं जा रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के एक मंदिर में बैठ कर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का लाइव प्रसारण देखने का फैसला किया। विपक्ष के कई नेताओं की तरह उन्होंने भी कहा कि वे 22 जनवरी के बाद परिवार के साथ अयोध्या जाएंगे। गौरतलब है कि जेपी नड्डा को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता देने विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार खुद गए थे। यह भी खबर आई थी कि उन्होंने न्योता स्वीकार कर लिया है और अयोध्या जाएंगे। आलोक कुमार ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी न्योता दिया और खबर आई थी कि दोनों ने न्योता स्वीकार कर लिया है। हालांकि एक दिन पहले तक स्पष्ट नहीं हुआ था कि ये दोनों कार्यक्रम में जा रहे हैं या नहीं। ध्यान रहे राजनाथ सिंह और अमित शाह दोनों अलग अलग कारणों से राममंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। इसलिए माना जा रहा है कि वे प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में जाएंगे। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को रोकने की बड़ी कोशिश हुई लेकिन कहा जा रहा है कि दोनों अयोध्या जाएंगे। देश की मशहूर हस्तियों के बारे में कोई संशय नहीं है, सब जा रहे हैं लेकिन भाजपा के कई बड़े नेताओं को लेकर संशय है।