रेल मंत्री, संचार मंत्री और सूचना व प्रौदयोगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव की क्या राजस्थान के चुनाव में कोई भूमिका होने वाली है? कुछ समय पहले जयपुर मे एक ब्राह्मण महापंचायत हुई थी, जिसमें अश्विनी वैष्णव भी शामिल हुए थे। वे राजस्थान के रहने वाले हैं और ओडिशा काडर के आईएएस अधिकारी थे। वे अभी ओडिशा से ही राज्यसभा के सदस्य हैं। लेकिन ब्राह्मण महापंचायत में हिस्सा लेने के बाद उनका नाम चर्चा में आया और कहा जाने लगा कि भाजपा आलाकमान उनको राजस्थान चुनाव में बड़ी भूमिका दे सकता है। चुनाव के बाद उनको मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा भी शुरू हो गई। ध्यान रहे राजस्थान में भाजपा नेतृत्व को लेकर पहले से ही काफी खींचतान चल रही है। ऐसे में वैष्णव का नाम आने से मामला और उलझने लगा।
लेकिन अब अचानक उनकी जाति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। उनके ब्राह्मण महापंचायत में शामिल होने के बाद उनके ब्राह्मण होने की चर्चा हुई थी लेकिन अब कहा जा रहा है कि राजस्थान में उनकी जाति अन्य पिछड़ी जाति में आती है। राजस्थान में वैष्णव बैरागी समाज ओबीसी में है और उसे आरक्षण का लाभ मिलता है। पिछले दिनों वैष्णव बैरागी समाज ने एक ज्ञापन देकर अपनी जाति को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल करने का अनुरोध किया है। बहरहाल, ब्राह्मण महापंचायत में यह मांग मजबूती से उठाई गई थी कि हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। इस मांग के बीच वैष्णव एक मजबूत हिंदुवादी चेहरे के तौर पर उभरे थे। तभी ऐसा लग रहा है कि उनकी जाति का विवाद उठा कर हिंदुत्व के एजेंडे में उनके शामिल होने को रोका जा रहा हो।