लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर कांग्रेस के किसी पुराने या पारंपरिक नेता का कोई असर नहीं है। राहुल किसी से बात नहीं करते हैं और न किसी की बात सुनते हैं। उनकी सारी राजनीति केसी वेणुगोपाल की राजनीतिक समझदारी और सुनील कनुगोलू के जुटाए आंकड़े और उनके बनाए नैरेटिव के दम पर चलती है। वेणुगोपाल उनको 24 घंटे घेरे रहते हैं। कनुगोलू का नैरेटिव भी राहुल तक केसीवी के जरिए पहुंचता है। इन दो लोगों के अलावा राहुल गांधी के पास बिल्कुल अराजनीतिक लोगों की टीम है। उनके निजी सचिव कौशल विद्यार्थी हों या अलंकार सवाई हो या कनिष्क सिंह हों, किसी के पास जमीनी राजनीति का अनुभव नहीं है।
तभी कांग्रेस के नेता अनौपचारिक बातचीत में संसद सत्र के दौरान पत्रकारों को बताते रहे कि कैसे वेणुगोपाल और कनुगोलू सारी चीजों को हैंडल कर रहे हैं। कांग्रेस के एक नेता का कहना है था कि अडानी का मामला भी राहुल गांधी इसलिए पकड़ कर बैठे हैं क्योंकि सुनील कनुगोलू ने बताया है कि यह मामला लोगों में हिट है। उन्होंने समझाया है कि कांग्रेस की 99 लोकसभा सीटों की जीत अडानी विरोध के कारण हुई है। हालांकि राहुल कभी कनुगोलू या केसीवी से यह नहीं पूछ रहा हैं कि हरियाणा और महाराष्ट्र कैसे हार गए। दोनों राज्यों में कनुगोलू की टीम ने सर्वे किया था, चुनावी एजेंडा तय किया था और प्रचार की सारी रणनीति बनाई थी। दोनों राज्यों में उन्होंने जीत की गारंटी दी थी। दोनों जगह अच्छी संभावना के बावजूद कांग्रेस चुनाव हार गई।