आजादी की लड़ाई से लेकर अभी तक अनेक बड़े नेताओं को उनके करीबियों या समर्थकों ने कोई आदरसूचक नाम दिया था, जो उनके उपनाम की तरह प्रचलित हुए। महात्मा गांधी, चाचा नेहरू, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, देशरत्न राजेंद्र प्रसाद, लोकमान्य तिलक, लोकनायक जेपी, लोकप्रिय बारदोलोई, देशबंधु चितरंजन दास आदि। आजादी के बाद भी नेताओं को इस तरह की उपाधि या तमगे मिलते रहे। मुलायम सिंह यादव नेताजी कहे गए, चंद्रशेखर को सारे लोग अध्यक्षजी कहते थे, ममता बनर्जी दीदी तो मायावती बहनजी कही गईं, बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को जननायक कहा गया। उनको सम्मान देने के लिए बिहार के दरंभगा से पंजाब के अमृतसर तक जननायक एक्सप्रेस नाम से एक ट्रेन चलाई गई।
अब कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को जननायक बता रही है। राहुल को लेकर कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कुछ ट्विट होता है तो उनके नाम के साथ जननायक जोड़ा जाता है। पार्टी ने एक ट्विट किया, जिसमें उनकी फोटो थी और एक कैप्शन था ‘जननायक’। राहुल पिछले दिनों की आजादपुर मंडी में आढ़तियों, कारोबारियों से मिलने पहुंचे तो उसकी खबर भी कांग्रेस ने राहुल को जननायक बताते हुए ट्विट की। सवाल है कि कांग्रेस जनता के बीच राहुल की आउटरीच को देखते हुए उनको जननायक बता रही है या उसके नेताओं को पता है कि पिछड़ी जातियों के बीच कर्पूरी ठाकुर बहुत लोकप्रिय रहे हैं और अत्यंत पिछड़ी जातियों के लिए ओबीसी आरक्षण के अंदर आरक्षण का प्रावधान करने वाला कर्पूरी फॉर्मूला बिहार सहित कई राज्यों में अपनाया जा रहा है।