दुनिया के जाने माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे रघुराम राजन के तेवर इन दिनों बदले बदले से दिख रहे हैं। पहले वे सिर्फ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना किया करते थे और देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के सुझाव दिया करते थे। परंतु अब वे मोदी सरकार की नीतियों और फैसलों की तारीफ भी कर रहे हैं और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कुछ फैसलों या कामकाज की आलोचना कर रहे हैं। सवाल है कि ऐसा क्या हो गया, जिससे उनके तेवर बदल गए हैं? क्या देश में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी का जीत कर सरकार बनाना और उधर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से कुछ बदल है? इस बारे में तो अंतिम रूप से Raghuram Rajan ही कुछ कह सकते हैं।
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परंतु उनके बयानों से लग रहा है कि वे पहले वाले Raghuram Rajan नहीं हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत के सरकारी बैंकों का बैड लोन या एनपीए केंद्र की यूपीए सरकार की गलत नीतियों की देन था। यह कह कर उन्होंने भाजपा की ओर से यूपीए सरकार और खास कर उस समय के वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर लगाए जाने वाले आरोपों की पुष्टि कर दी है। भाजपा के नेता लगातार आरोप लगाते हैं कि यूपीए सरकार में फोन करके बैंकों से दोस्तों को कर्ज दिलाए जाते थे।
इतना ही नहीं रघुराम राजन ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से जब उन्होंने कहा कि बैड लोन्स की सफाई की जरुरत है तो जेटली ने उनको फ्री हैंड दिया था और कहा था कि उनको जो ठीक लगे वह करके बैंकों की सेहत ठीक करनी है। हो सकता है कि दोनों बातें सही हों लेकिन रघुराम राजन ने पहले कभी इस तरह के बयान नहीं दिए थे।