पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री Sukhbir singh Badal को बेअदबी के मामले में श्री अकाल तख्त से तनखैया घोषित किए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद से अकाली दल के भविष्य को लेकर चर्चा हो रही थी। लेकिन उसके बाद जिस तरह की गतिविधियां हुई हैं उनसे लग रहा है कि सुखबीर बादल की ताकत बढ़ सकती है। सिर झुका कर अकाल तख्त की सजा सुनने और उसके बाद जान पर खतरा होने के बाद भी सजा भुगतने की वजह से उनके प्रति सद्भाव बढ़ा है। उनके ऊपर जानलेवा हमले से भी उनके प्रति सहानुभूति बढ़ी है। पंजाब सरकार के कामकाज को लेकर भी सत्ता विरोधी माहौल बन रहा है, जिससे बादल परिवार को मौका मिल सकता है।
इस बीच बादल पर हमले के बाद सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों की मदद करने वाले जाने माने वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता एचएस फुल्का ने आम आदमी पार्टी छोड़ कर अकाली दल में शामिल होने का फैसला किया है। वे शुरू से आप के साथ थे और चुनाव भी लड़े थे। अब उन्होंने कहा है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। फिर भी उनका अकाली दल के साथ जाना राज्य में हो रहे बदलाव का संकेत है।
इसी तरह अकाली राजनीति में सुधार की वकालत करने वाले सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा है कि वे Sukhbir singh Badal को अध्यक्ष स्वीकार करने को तैयार हैं। यह बड़ा बयान है। माना जा रहा है कि श्री अकाल तख्त की ओर से अकाली दल के पुनर्गठन का जो आदेश दिया गया है उसके तहत सब मिल कर बादल को पार्टी का प्रमुख बनाएंगे और उनके लिए समर्थन जुटाया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो आप और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल बढ़ेगी।