पंजाब की पार्टियों ने चंडीगढ़ प्रशासन के सलाहकार का पद खत्म करके उसे मुख्य सचिव के पद में तब्दील करने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने भी इसका विरोध किया है। हालांकि कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के साथ मिल कर यह फैसला किया है। कांग्रेस और अकाली दल ने इस फैसले का सबसे तीखा विरोध किया है। इन पार्टियों ने चंडीगढ़ प्रशासन के सलाहकार का पद खत्म किए जाने को राज्य की अस्मिता से जोड़ा है और आऱोप लगाया है कि इससे चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा कमजोर होगा।
कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा और अकाली दल के नेता व राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने इस फैसले के लिए केंद्र सरकार और भाजपा पर हमला किया। उनका कहना है कि दो प्रधानमंत्रियों ने वादा किया था कि चंडीगढ़ पर पंजाब का हक है और वह पंजाब को ही मिलेगा। गौरतलब है कि बरसों से चंडीगढ़ का केंद्र शासित प्रदेश और हरियाणा की राजधानी का दर्जा खत्म कराने का अभियान चल रहा है। बार बार कहा जाता है कि केंद्र इसका दर्जा बदले और हरियाणा पंचकूला या मोहाली में राजधानी बनाए। केंद्र सरकार के फैसले से इस संवेदनशील मसले पर विवाद और बढ़ेगा।