पंजाब के दिग्गज नेता दिवंगत प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत बादल भटकते भटकते भाजपा में पहुंच गए हैं। प्रकाश सिंह बादल की सरकार में वित्त मंत्री रहे मनप्रीत ने अकाली दल छोड़ कर पंजाब पीपुल्स पार्टी के नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली तो वे कांग्रेस में शामिल हो गए और 2017 से 2022 तक रही कांग्रेस की कैप्टेन अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री रहे। कांग्रेस हार कर सत्ता से बाहर हुई तो मनप्रीत का वहां से भी मोहभंग हो गया और अब उनका मुकाम भाजपा है। वे पहले ही भाजपा में शामिल हो गए थे लेकिन अब पार्टी ने उनको विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया है।
मनप्रीत बादल अपने परिवार का गढ़ माने जाने वाले गिद्दरबाह सीट से चुनाव लड़ेंगे। वे 1995 से लेकर 2007 तक चार बार इस सीट से विधायक रहे है। पिछली बार इस सीट पर कांग्रेस के राजा अमरिंदर सिंह वारिंग चुनाव जीते थे। लेकिन वे अब सांसद बन गए हैं इसलिए सीट खाली हुई है। घूम फिर कर मनप्रीत इस सीट पर लड़ने लौटे हैं। पिछली बार यानी 2022 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल की ओर से हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों चुनाव लड़े थे और दो हजार के करीब वोट के मामूली अंतर से हारे थे। तीसरे स्थान पर आम आदमी पार्टी रही थी। सो, इस बार भी कांग्रेस, अकाली दल और आप के मुकाबले मनप्रीत की वजह से चारकोणीय मुकाबला बनेगा। सवाल है कि अगर मनप्रीत नहीं जीते तो क्या होगा? क्या वे भाजपा के साथ लौटेंगे या आखिरी बचे हुए विकल्प आम आदमी पार्टी के साथ जाएंगे या घर वापसी करेंगे? इस चुनाव के नतीजे के बाद यह तय होगा।