punjab politics amritpal: जेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह राजनीतिक दल बना रहा है। इस खबर ने प्रदेश की सभी पार्टियों नींद उड़ा रखी है।
सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी से लेकर मुख्य विपक्षी कांग्रेस और भाजपा व उसकी पुरानी सहयोगी अकाली दल तक सब परेशान हैं।
सबकी परेशानी का कारण यह है कि पंजाब में पिछले कुछ बरसों से पारंपरिक, उदारवादी राजनीति के लिए स्पेस कम हो रहा है और कट्टरपंथी राजनीति के लिए स्पेस बढ़ रहा है। इस राजनीति में पारंपरिक पार्टियां सफल नहीं हो सकती हैं।
पिछले 10 साल से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इसी स्पेस में राजनीति करती रही है।
उनकी पार्टी ने 2014 में इसी राजनीति के दम पर लोकसभा की चार सीटें जीत ली थीं और 2017 में जब उनकी पार्टी ने विधानसभा का पहला चुनाव पंजाब में लड़ा तो मजबूत ताकत के तौर पर उभरी। पांच साल के बाद उसने प्रचंड बहुमत से सरकार बना ली।
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चुनाव जीतने के बाद आप भी दूसरी पार्टियों की तरह मुख्यधारा की पारंपरिक पार्टियों की तरह काम करने लगी। तभी कट्टरपंथी ताकतों का उससे मोहभंग शुरू हुआ।
दूसरी ओर बादल परिवार और उनकी पार्टी अकाली दल भी कमजोर हुई, जिससे कट्टरपंथी राजनीति के लिए स्पेस बना। इसका पहला संकेत मुख्यमंत्री बनने के बाद भगवंत मान के इस्तीफे से खाली हुई संगरूर लोकसभा सीट पर सिमरनजीत सिंह मान की जीत से मिला।
पिछले लोकसभा चुनाव में जेल में बंद अमृतपाल खडूरसाहिब सीट से और सरबजीत सिंह फरीदकोट सीट से निर्दलीय चुनाव जीत गए। सरबजीत इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे हैं।
माना जा रहा है कि किसान आंदोलन के समय भाजपा और उसके इकोसिस्टम ने और उसके साथ ही ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका आदि देशों में खालिस्तानी अलगाववादियों की गतिविधियों से पंजाब में कट्टरपंथी राजनीति मजबूत हुई है।
इसका फायदा उठाने के लिए अमृतपाल और सरबजीत साथ आए हैं। दोनों ने मिल कर शिरोमणी अकाली दल आनंदपुर साहिब नाम से पार्टी का गठन किया है, जिसकी औपचारिक घोषणा मुक्तसर में लगने वाले माघी मेले में होगी।