पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ क्या अरविंद केजरीवाल के रिश्तों में कुछ दूरी बनी है? यह लाख टके का सवाल है और सिर्फ सोशल मीडिया में नहीं पूछा जा रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि मान के कामकाज से केजरीवाल खुश नहीं हैं। हालांकि मान सरकार ठीक उसी तरह से चल रही है, जिस तरह से दिल्ली में केजरीवाल की सरकार चली या अभी आतिशी की सरकार चल रही है। तभी केजरीवाल के नाराज होने का कारण सरकार का कामकाज नहीं हो सकता है। हो सकता है कि केजरीवाल को लग रहा हो कि लगातार पांच साल तक मुख्यमंत्री रहने से भगवंत मान का कद बढ़ेगा और अगर अगली बार भी भाजपा जीत गई तो वे सीएम पद के स्वाभाविक दावेदार होंगे। इसलिए बीच में ही सीएम बदलने का फैसला हो सकता है।
भगवंत मान सीएम के तौर पर ढाई साल से ज्यादा का कार्यकाल बिता चुके हैं। अब जाकर उनको लगा है कि प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ देना चाहिए। ध्यान रहे वे मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों पदों पर हैं और कुछ दिन पहले तक किसी ने इस ओर ध्यान भी नहीं दिया था क्योंकि सबको पता है कि आम आदमी पार्टी में संगठन का कोई मतलब नहीं है। लेकिन अचानक भगवंत मान के प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की खबरें आ रही हैं। वे खुद इसकी पहल कर रहे हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि उनको सीएम पद से हटा कर प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने का फैसला हो उससे पहले ही वे अध्यक्ष पद छोड़ने का दांव चल रहे हैं। कुछ समय पहले तक पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की पंजाब में बहुत सक्रियता थी लेकिन अब उनकी सक्रियता कम हो गई है। अब चुनाव रणनीतिकार संदीप पाठक ही वहां का कामकाज देख रहे हैं। सो, अगले कुछ दिन पंजाब की राजनीति में दिलचस्पी वाले हो सकते हैं।