राहुल गांधी विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ मंच साझा कर रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे भी विपक्ष के साथ साझा रैली कर रहे हैं। दूसरी ओर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी विपक्षी पार्टियों के साथ मंच साझा कर रहे हैं और दिल्ली में अपनी सहयोगी कांग्रेस के लिए प्रचार भी कर रहे हैं। लेकिन यह बहुत दिलचस्प है कि कांग्रेस के नेता चाहे वह राहुल गांधी हों या मल्लिकार्जुन खड़गे, कोई भी अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा नहीं कर रहा है। दोनों अलग अलग प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि पंजाब में दोनों पार्टियां अलग अलग लड़ रही हैं और नहीं चाहती हैं कि कोई भी तस्वीर ऐसी आए, जिसे पंजाब में मुद्दा बनाया जा सके। ध्यान रहे पंजाब में लोगों को पता होगा कि हरियाणा और दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ मिल कर लड़ रहे हैं। लेकिन दोनों पार्टियों ने पंजाब में एक दूसरे के खिलाफ लड़ने का मैसेज बनवाया है और दोनों नहीं चाहते हैं कि उनके संबंधों पर एक झीना सा जो परदा पड़ा है वह हट जाए।
तभी आपसी सहमति के आधार पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने केजरीवाल से दूरी बनाए रखी है। ध्यान रहे बुधवार यानी 15 मई को केजरीवाल को भी लखनऊ जाना था, जहां कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस कांफ्रेंस होनी थी। लेकिन ऐन मौके पर केजरीवाल का लखनऊ जाना टल गया। वे बुधवार की बजाय गुरुवार को लखनऊ गए और अखिलेश यादव के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस की। इसके बाद 18 मई को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिल्ली में प्रचार करने का कार्यक्रम बना तो उसमें केजरीवाल को शामिल नहीं किया गया। जबकि इससे पहले उत्तर प्रदेश के रायबरेली, झांसी सहित कई जगह सभाओं में राहुल और अखिलेश ने एक साथ सभा को संबोधित किया। खड़गे ने यूपी में अखिलेश के साथ मंच साझा किया तो मुंबई में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ एक रैली को संबोधित किया।
ऐसा बताया जा रहा है कि एक रणनीति के तहत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता एक साथ प्रचार नहीं कर रहे हैं। अगर कहीं भी राहुल गांधी और केजरीवाल की एक साथ तस्वीर या वीडिया आ जाए तो पंजाब में भाजपा भी उसका इस्तेमाल करेगी और अकाली दल को भी मौका मिल जाएगा। ध्यान रहे पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है। इसी वजह से दोनों ने तालमेल नहीं किया क्योंकि तालमेल करने पर विपक्ष का स्पेस अकाली और भाजपा के पास चला जाता। अब अगर राहुल या खड़गे के साथ केजरीवाल के साझा प्रचार करने का वीडियो पंजाब में वायरल हो तो दोनों को नुकसान होगा। फिर सरकार विरोधी वोट अकाली या भाजपा के साथ जा सकता है। अभी एक तात्कालिक कारण केजरीवाल के पीएम पर स्वाति मालीवाल से मारपीट के आरोपों का है। कांग्रेस को लग रहा है कि केजरीवाल के साथ होने पर इस मुद्दे पर कांग्रेस से भी सवाल होंगे। इस नाते भी थोड़ी दूरी दिखाई जा रही है।