यह बहुत हैरान करने वाली बात है कि पंजाब की आईएएस अधिकारी परमपाल कौर के वीआरएस के मामले में पंजाब की भगवंत मान सरकार ने इतना विवाद किया। यह बहुत सामान्य बात है कि अधिकारी सेवा से स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेकर चुनाव लड़ते हैं या राजनीति करते हैं। कुछ ही दिन पहले ओडिशा सरकार के आईएएस अधिकारी रहे वीके पांडियन ने इसी तरह वीआरएस के लिए आवेदन किया, जिसे केंद्र ने मंजूरी दे दी और उसके बाद वे बीजू जनता दल की राजनीति कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने आईएएस अधिकारी परमपाल कौर के वीआरएस को भी मंजूरी दे दी थी लेकिन पंजाब सरकार ने इसे अटका दिया था।
असल में परमपाल कौर ने वीआरएस के लिए आवेदन करने के साथ ही भाजपा ज्वाइन कर ली थी और भाजपा ने उनको पंजाब की बठिंडा सीट से लोकसभा का अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था। लेकिन पंजाब सरकार ने इसमें फच्चर दिया और उनका वीआरएस स्वीकार करने की बजाय उनको तत्काल ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा। हालांकि परमपाल कौर ने इससे मना कर दिया। अंत में यह रास्ता निकला कि पंजाब सरकार वीआरएस की मंजूरी नहीं देगी लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार कर लेगी। इस तरह परमपाल कौर का इस्तीफा मंजूर हुआ। उनको इसका नुकसान यह है कि उन्हें वीआरएस के फायदे नहीं मिल पाएंगे। इससे उनको कुछ नुकसान हुआ लेकिन राज्य सरकार या आम आदमी पार्टी को कोई फायदा हुआ हो ऐसा नहीं लग रहा है। उलटे इस विवाद से उनकी ज्यादा चर्चा हो गई और बठिंडा में हर व्यक्ति उनको जान गया। इसका कुछ फायदा भाजपा को ही होगा।