कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार चुनाव लड़ने जा रही हैं। वे केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगी, जहां से राहुल गांधी दूसरी बार जीते थे। यह अलग बात है कि प्रियंका भी पिछले दो दशक से सक्रिय राजनीति में हैं। राहुल जब 2004 में पहली बार अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ने पहुंचे थे तब प्रियंका ने उनका चुनाव संभाला था। वे सोनिया और राहुल दोनों के लोकसभा क्षेत्रों का काम भी देखती रहीं। उन्हें 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का महासचिव बनाया गया। वे उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनीं और उनके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को सह प्रभारी बनाया गया। यह जोड़ी कोई काम नहीं कर सकी और सिंधिया तो बाद में भाजपा में ही चले गए।
हालांकि प्रियंका गांधी वाड्रा महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनी रहीं। मल्लिकार्जुन खड़गे जब अध्यक्ष बने और उन्होंने लंबे इंतजार के बाद अपनी टीम की घोषणा की तो प्रियंका को महासचिव बनाए रखा लेकिन कोई प्रभारी नहीं दिया गया। वे बिना प्रभारी की महासचिव हैं। उन्होंने पिछले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस साल लोकसभा चुनाव प्रचार में खूब मेहनत की। राहुल गांधी की तरह उनकी भी पूरे देश में सभाएं हुई हैं। तभी कहा जा रहा है कि संगठन में उनको बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। हालांकि रायबरेली के सांसद राहुल गांधी अगर यूपी में खुद मेहनत करने की तैयारी कर रहे हैं तो वहां कोई और महासचिव बनेगा। इसी तरह से अगर राहुल गांधी लोकसभा में नेता का पद नहीं स्वीकार करते हैं तो संसद में भी प्रियंका को जिम्मेदारी मिल सकती है। राहुल के बाद शशि थरूर नेता विपक्ष के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार माने जा रहे हैं।