बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्ता पलट होने और मोहम्मद यूसुफ की कमान में आंतरिक सरकार बनने के बाद से ऐसा लग रहा है कि बांग्लादेश कई देशों की राजनीति को प्रभावित कर रहा है। भारत से लेकर अमेरिका तक बांग्लादेश के नाम पर राजनीति हो रही है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए होने वाले मतदान से चार दिन पहले रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा उठाया। उन्होंने इसे बर्बर कहा। पांच नवंबर को वहां चुनाव होना है और उससे पहले रिपोर्ट आई थी कि प्रवासी भारतीयों का बड़ा हिस्सा डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस के साथ है। उसके बाद ट्रंप ने बांग्लादेश के हिंदुओं पर ज्यादती का मुद्दा उठाया।
विश्व हिंदू परिषद ने इसका समर्थन किया है और यह मुद्दा उठाने के लिए ट्रंप की तारीफ की है। हो सकता है कि उनको इसका कुछ फायदा मिल जाए। बहरहाल, भारत में भी पिछले कई महीने से बांग्लादेश के नाम पर राजनीति हो रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा देते हुए बांग्लादेश की मिसाल दी और कहा कि वहां जैसा हो रहा है वैसा भारत में नहीं होने देना है। इसी से प्रभावित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे हैं। उन्होंने एक दिन कहा कि ‘बंटेंगे तो बांटने वाले महफिल सजाएंगे’ और दिवाली के दिन कहा कि ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’। उधर बिहार में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ निकाली तो उन्होंने भी हर जगह बांग्लादेश की घटनाओं की याद दिलाई।