कट्टर ईमानदारी की परिभाषा बदल गई है। दस साल पहले तक कट्टर या सामान्य रूप से ईमानदार या जनमानस में बेईमान ब्रांड कर दिए गए नेता भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर इस्तीफा दे देते थे। लेकिन अब कट्टर ईमानदार होने का मतलब है कि चाहे कुछ भी हो जाए इस्तीफा नहीं देना है। इस्तीफा दे दिया तो ईमानदार नहीं माना जाएगा। एक सिद्धांत के रूप में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी दोनों ने इसे स्वीकार किया है। भाजपा ने पहले कहा था कि अब की भाजपा में इस्तीफे नहीं होते हैं, आरोप चाहे कितने भी संगीन हों। इसी बात को अरविंद केजरीवाल ने आत्मसात किया और उन्होंने भी इस्तीफे आदि का चलन खत्म कर दिया।
कुछ समय पहले जब दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया तो थोड़े दिन के बाद उनको मंत्री पद से हटाया गया और उनके साथ ही सत्येंद्र जैन को भी हटाया गया। लेकिन इसका राजनीतिक नैतिकता या शुचिता से कोई लेना-देना नहीं है। सिसोदिया की गिरफ्तारी से कई महीने पहले से सत्येंद्र जैन जेल में थे और मंत्री भी थे। दोनों को इसलिए हटाया गया क्योंकि दिल्ली में मुख्यमंत्री सहित सात ही मंत्री बन सकते हैं। चूंकि अरविंद केजरीवाल अपने पास कोई मंत्रालय रखते नहीं हैं इसलिए चार मंत्रियों से सरकार चलाना मुश्किल होता। तभी उन दोनों को हटा कर सौरभ भारद्वाज और आतिशी को मंत्री बनाया गया।
अब आम आदमी पार्टी के विधायकों की बैठक में तय किया गया है कि अगर शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदशालय यानी ईडी द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया जाता है तब भी वे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। वे जेल में रहेंगे तो जेल से ही सरकार चलाएंगे। जेल में ही कैबिनेट की बैठक होगी। इस फैसले के पीछे की मानसिकता यही है कि अगर इस्तीफा दिया तो इसका मतलब आरोपों को स्वीकार करना होगा। इस सिद्धांत की प्रतिस्थापना करने वाली पार्टियां मानती हैं कि अगर इस्तीफा नहीं दिया तो थोड़े दिन में लोग भूल जाते हैं और अगर इस्तीफा दे दिया तो भ्रष्टाचारी के रूप में ब्रांडिंग हो जाती है। इसलिए इस्तीफा लेने-देने की प्रक्रिया को खत्म कर दिया गया है।
सोचें, लालू प्रसाद यादव के बारे में, जिनको चारा घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया जाना था और उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था! तब केंद्र में उनकी पार्टी के समर्थन वाली सरकार थी और वे बिहार में इतने लोकप्रिय थे कि तब के सीबीआई के अधिकारी यूएन बिस्वास ने उनको गिरफ्तार करने से पहले सेना बुला ली थी। इसी तरह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जयललिता को भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा हुई तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। उनके पहले इस्तीफे के बाद ओ पनीरसेल्वम और दूसरे इस्तीफे के बाद ई पलानीस्वामी मुख्यमंत्री बने थे।