प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार चुनावी रैली करने मैदान में उतरे तो सोच कर उतरे की कांग्रेस की ऐसी तैसी कर देनी है। सो, उन्होंने कांग्रेस पर जबरदस्त हमला किया। हरियाणा में कांग्रेस को मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मान कर नहीं, बल्कि घनघोर दुश्मन मान कर उस पर हमला किया। राज्य में लगातार 10 साल तक भाजपा का शासन रहा और उसी समय केंद्र में भी भाजपा की खुद नरेंद्र मोदी की सरकार रही। यानी उनके शब्दों में हरियाणा में 10 साल से डबल इंजन की सरकार चल रही है। इतने समय में तो हरियाणा जैसे छोटे राज्य की सारी समस्याएं हल हो जानी चाहिए थी और हरियाणा दुनिया को दिखाने वाला मॉडल राज्य बन जाना चाहिए था। लेकिन हरियाणा की हकीकत यह है कि जिस दिन प्रधानमंत्री कुरुक्षेत्र में भाषण कर रहे थे उसी दिन एक बहुराष्ट्रीय बैंक के दो अधिकारियों के फरीदाबाद के एक अंडरपास में जमा पानी में गाड़ी सहित डूब जाने और मर जाने की खबर आई और यह भी खबर आई कि एक दिन पहले शुक्रवार को गुरुग्राम में जलभराव की वजह से लोग चार चार घंटे जाम में फंसे रहे।
बहरहाल, प्रधानमंत्री ने डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों और आगे के विकास के रोडमैप की बजाय अपने भाषण में सिर्फ कांग्रेस पर हमला किया। जितने तरह के आरोप हो सकते हैं वो सारे आरोप उन्होंने कांग्रेस पर लगाए। उन्होंने अपने को आरक्षण का चैंपियन बताते हुए कहा कि कांग्रेस का शाही परिवार दलितों, पिछड़ों का आरक्षण खत्म करना चाहती है लेकिन मोदी के रहते ऐसा नहीं हो पाएगा। उन्होंने कर्नाटक में एक जुलूस में गणपति की मूर्ति जब्त किए जाने के नाम पर कांग्रेस को तुष्टिकऱण करने वाला और हिंदू विरोधी बताया। मोदी ने कांग्रेस को दलित विरोधी बताया और 15-20 साल पहले की घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और कहा कि उसके राज में नियुक्तियां खर्ची और पर्ची पर होती थी। उन्होंने कांग्रेस को अर्बन नक्सल बताया। यह भी कहा कि कांग्रेस का शासन आ गया तो वह हिमाचल प्रदेश की तरह राज्य को कंगाल कर देगी और वेतन देने के पैसे नहीं रहेंगे।