PM Modi Opposition Parties: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेता अक्सर ऐसा कहते रहते हैं कि जिन लोगों को जनता ने ठुकरा दिया या जिनको जनता ने हरा दिया वे ऐसा कर रहे हैं या वैसा कर रहे हैं।
सवाल है कि जिनको जनता ने हरा दिया या ठुकरा दिया यानी जिनको विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया, उनको क्या करना चाहिए?
उनको चुपचाप विपक्ष में बैठना चाहिए और यह मान कर काम करना चाहिए कि जिन लोगों ने जनता ने जिताया है या जिनकी सरकार बनवाई है उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलना चाहिए?
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन भी यह बात कही। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को जनता ने ठुकरा दिया वे संसद को नियंत्रित करना चाहते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ठुकराए गए लोग गुंडागर्दी कर रहे हैं। सवाल है कि क्या संसद में कोई मुद्दा उठाना और उस पर चर्चा की मांग करना संसद को नियंत्रित करने का प्रयास है?
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कुछ भी असामान्य नहीं
विपक्षी पार्टियों ने संसद में अडानी के मसले पर चर्चा की मांग की, इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। विपक्षी पार्टियां ऐसे ही मुद्दे उठाती हैं, जिनको सरकार दबाना या छिपाना चाहती हैं।
अगर विपक्ष ऐसे मुद्दे नहीं उठाएगा तो क्या करेगा? क्या भाजपा का अपना इतिहास इसी तरह के मुद्दे उठाने और संसद को ठप्प करने का नहीं है।
भाजपा तो देश की कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ साथ सबसे लंबे समय तक विपक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाने वाली पार्टी है। वह तो आजादी के बाद से करीब 50 साल तक जनता द्वारा खारिज ही होती रही है।
लेकिन क्या जनता भारतीय जनसंघ या भाजपा को खारिज करती थी तो भाजपा जनता के मुद्दे नहीं उठाती थी? असल में यह विपक्ष की जिम्मेदारी है कि वह जरूरी मुद्दे उठाए और सरकार से जवाब मांगे।
खुद भाजपा के नेता अरुण जेटली ने कहा था कि संसद नहीं चलने देना भी एक संसदीय रणनीति है। सो, कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां उसी संसदीय रणनीति पर काम कर रही हैं तो उसमें क्या दिक्कत होनी चाहिए?