आमतौर पर ऐसा सुनने या देखने को नहीं मिलता है कि राज्यसभा या लोकसभा में पीठासीन अधिकारी सरकारी पक्ष के लोगों को कुछ नसीहत दें। उनकी सारी नसीहतें और नियम विपक्ष के सदस्यों के लिए होते हैं। तभी विपक्षी पार्टियों को अच्छा लगा होगा, जब मंगलवार को राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के स्पीकर दोनों ने सत्तापक्ष के सदस्यों को नसीहत दी। इतना ही नहीं मंत्रियों को भी समझाया और सवाल पूछा। हालांकि सभापति और स्पीकर ने तो नसीहत दी लेकिन एक समय स्पीकर की जगह आसन पर मौजूद तेलुगू देशम पार्टी के कृष्णा प्रसाद तेनेथी ने ऐसा सद्भाव नहीं दिखाया।
उन्होंने बैंकिंग बिल पर चल रही बहस के दौरान एक मामले में तो नियम पढ़ कर कांग्रेस के गौरव गोगोई को चुप करा दिया लेकिन उसी तरह के दूसरे मामले में वहीं नियम पढ़ कर भाजपा के संबित पात्रा को चुप नहीं कराया। इस पर पक्ष और विपक्ष में नोकझोंक भी हुई और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दखल देना पड़ा था। Parliament
बहरहाल, उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने तो किसानों के मामले में सीधे कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल पूछ लिया। असल में मुंबई में केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के एक कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों लोग थे। वही पर धनखड़ ने शिवराज चौहान की ओर इशारा करते हुए कहा-कृषि मंत्री जी, आपका एक एक पल भारी है।
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मेरा आपसे आग्रह है और भारत के संविधान के तहत दूसरे पद पर विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है कि कृपया करके मुझे बताइए कि किसान से क्या वादा किया गया था? और जो वादा किया गया था, वह क्यों नहीं निभाया गया? इसके आगे उन्होंने पूछा- वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? बीते साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है। हम कुछ नहीं कर रहे हैं। यह बहुत बड़ी बात है कि उप राष्ट्रपति ने किसानों का मुद्दा उठाया। गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश तक किसान आंदोलित हैं।
इसी तरह लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने भाजपा के एक Parliament और दो मंत्रियों को सदन में नसीहत दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने भाषण में कह दिया कि कई राज्य सरकारें मनरेगा के फंड में गड़बड़ी कर रही हैं। इसे लेकर स्पीकर ने उनको टोका और कहा कि अगर उनके पास कुछ सबूत हैं तो पेश करें अन्यथा इस तरह एक साथ कई राज्यों पर सवाल उठाना या उनको कठघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है।
इसके बाद राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार कुछ पेपर सदन के पटल पर रखने के लिए खड़े हुए तो उनके आचरण को देख कर भी स्पीकर ने उनको टोका और कहा कि कोई इनको पेपर दो और समझाओ। इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को भी स्पीकर ने टोका। असल में मेघवाल दो अन्य मंत्रियों की गैरमौजूदगी में उनकी तरफ से पेपर सदन के पटल पर रखने को खड़े हुए तब स्पीकर ने कहा कि वे सदन में मंत्रियों की मौजूदगी सुनिश्चित करें। इसके आगे स्पीकर ने यह भी कहा कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो हर चीज के लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे। Parliament