नई लोकसभा का पहला सत्र कई मायने में अभूतपूर्व रहा। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों की बढ़ी ताकत का असर सदन की कार्यवाही में दिखा। लेकिन साथ ही यह भी दिखा कि देश की सबसे बड़ी पंचायत की गरिमा में जिस गिरावट की बात हो रही थी वह अब स्थायी हो गई है। इसका कारण यह है कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के नेता भाजपा सदस्यों के जिस आचरण की आलोचना करते थे और सदन की गरिमा गिराने वाला कहते थे वैसा ही आचरण वे खुद भी करने लगे। एक चीज यह भी देखने को मिली कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भक्त हैं और उनके नाम के नारे लगाने वाले हैं तो राहुल गांधी को भी ऐसे लोग मिल गए हैं। यह भी साफ दिखा कि सदन में मोदी को अपने नाम का नारा लगने से कोई आपत्ति नहीं है तो राहुल गांधी को भी नहीं है।
18वीं लोकसभा के पहले सत्र के आखिरी दिन यानी मंगलवार, दो जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सरकार की ओर से पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया। जब मोदी चर्चा का जवाब देने सदन में आए तो भाजपा और एनडीए के सांसदों ने मोदी, मोदी के नारे लगाए। साथ ही भारत माता की जय के नारे भी लगे। यह कोई नई बात नहीं थी। पिछले 10 साल से यह हो रहा है। जब भी मोदी सदन में आते हैं तो भाजपा के सांसद उनके नाम के नारे लगाते हैं। लेकिन इस सत्र से पहले कांग्रेस के नेता इसकी आलोचना करते थे। उनका कहना था कि भाजपा ने संसद की पवित्रता भंग की है और इसे राजनीतिक प्रचार का अखाड़ा बना दिया है।
लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस संसदीय नैतिकता का यह सबक भूल चुकी है क्योंकि उसके भी अब 99 सांसद हो गए हैं और राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बन गए हैं। तभी मंगलवार को जब राहुल गांधी सदन में आए तो कांग्रेस सांसदों ने जोर शोर से राहुल, राहुल के नारे लगाए। यह भी देखने को मिला कि राहुल गांधी पहले से सदन में नहीं थे। जब प्रधानमंत्री आ गए और जवाब देने के लिए खड़े हुए तब राहुल ने नाटकीय अंदाज में एंट्री ली। फिर कांग्रेस सांसदों ने राहुल, राहुल के साथ भारत जोड़ो, भारत जोड़ो का नारा लगाया। ऐसा नहीं लगा कि राहुल गांधी को यह घटनाक्रम संसद की गरिमा गिराने वाला लगा।
हो सकता है कि सिर्फ पहले सत्र में कांग्रेस सांसदों ने ऐसा किया हो क्योंकि लगातार दो बार मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा हासिल करने में विफल रही कांग्रेस को इस बार मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा मिला है और राहुल गांधी पहली बार विपक्ष के नेता बने हैं। संसद का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू होने वाला है, जिसमें बजट पेश किया जाएगा। उस सत्र में पता चलेगा कि नारेबाजी की यह प्रथा कायम रहती है या कुछ बदलाव होता है।