जिस दिन से संसद की सुरक्षा में सेंध लगी है उस दिन से भाजपा के नेता और उसका आईटी सेल किसी तरह से आरोपियों को विपक्ष के साथ जोड़ने के लिए बेचैन है। संसद की सुरक्षा में सेंध लगा कर चार लोगों के अंदर जाने और दो लोगों के सदन में जाकर धुआं फैला देने के मामले में कायदे से सिर्फ दो पहलू उभरते हैं। पहला, संसद की सुरक्षा व्यवस्था का और दूसरा, आरोपियों द्वारा उठाए गए भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा, मणिपुर आदि के मुद्दों का। लेकिन दुर्भाग्य से इन दोनों मुद्दों पर भाजपा चुप है और इसकी बजाय आरोपियों को विपक्ष के साथ जोड़ने के लिए बेचैन है।
कितनी हैरानी की बात है कि भाजपा इस बात का प्रचार कर रही है एक आरोपी ललित झा की फोटो तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस रॉय के साथ है। सोचें, सरस्वती पूजा के दौरान खींची गई फोटो से भाजपा तृणमूल को कठघरे में खड़ा कर रही है, जबकि खुद भाजपा के सांसद प्रताप सिम्हा ने आरोपियों के संसद में जाने का पास बनवाया था! एक आरोपी महिला नीलम चूंकि किसान आंदोलन में शामिल थी इसलिए उसको विपक्ष के साथ जोड़ा जा रहा है। उसे हरियाणा के एक कांग्रेस नेता का करीबी बताया जा रहा है। राहुल गांधी ने कह दिया कि सुरक्षा में चूक अपनी जगह है लेकिन इसका असली कारण बेरोजगारी और महंगाई है तो भाजपा के लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि अब यह संदेह मिट गया कि आरोपियों के पीछे कौन है। इस तरह की बातों से भाजपा ध्यान भटका रही है ताकि मुख्य मुद्दे पर बहस नहीं हो सके।