शरद पवार 18 जुलाई को बेंगलुरू मे होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल होंगे और उसी दिन उनके भतीजे अजित पवार दिल्ली में होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल होंगे। यह सबसे दिलचस्प स्थिति होगी क्योंकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि एनसीपी में जो टूट हुई है उसके बाद किसकी क्या स्थिति है। कितने सांसद और विधायक शरद पवार के साथ हैं और कितने अजित पवार के साथ चले गए हैं। ध्यान रहे दो जुलाई को अजित पवार अपने चाचा से अलग होकर भाजपा के साथ चले गए और राज्य सरकार में उप मुख्यमंत्री बन गए। दोनों का दावा है कि उनके पार्टी असली एनसीपी है।
बहरहाल, बेंगलुरू की बैठक में सबकी नजर शरद पवार पर रहेगी। एक समय ऐसा था, जब शरद पवार को विपक्षी एकता का सूत्रधार माना जाता था। ऐसी धारणा थी कि वे विपक्षी पार्टियों को एकजुट करेंगे और उनका नेतृत्व भी करेंगे। लेकिन कुछ समय पहले उन्होंने अपने को पीछे करना शुरू किया और पार्टी टूटने के बाद वे अब ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करें। कुछ विपक्षी नेताओं का कहना है कि वे बेंगलुरू में शरद पवार के मुंह से जानना चाहेंगे कि उनकी पार्टी में टूट की असलियत क्या है। ध्यान रहे मीडिया में इस तरह की बहुत चर्चा रही कि 2019 की तरह इस बार भी पूरा खेल पवार सीनियर का ही रचा हुआ हो सकता है। हालांकि खुद पवार इससे इनकार कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे विपक्षी पार्टियों की बैठक में वे महाराष्ट्र को लेकर अपनी योजना के बारे में बताएंगे।