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विपक्ष को क्या जेपीसी से निकलना है?

Parliament winter sessionImage Source: UNI

कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां क्या वक्फ बोर्ड बिल पर विचार के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से बाहर निकलना चाहती हैं? यह बड़ा सवाल है क्योंकि जेपीसी की बैठकों को लेकर विपक्ष का जिस तरह का व्यवहार है वह सकारात्मक नहीं है। भाजपा के एक जानकार नेता का कहना है कि किसी तरह से अब विपक्ष के सांसद इससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं। उनको लग रहा है कि अगर वे अंत तक रहे और जेपीसी ने वक्फ बोर्ड बिल में बदलाव की सिफारिशें कीं तो इन पार्टियों के लिए अपने मुस्लिम वोट बैंक को जवाब देना भारी हो जाएगा। उनके ऊपर इसका ठीकरा फूटेगा कि उनके होते इस तरह की सिफारिशें की गईं। हालांकि यह दूर की कौड़ी है क्योंकि सबको पता है कि सरकार के लाए बिल पर जेपीसी जो भी सिफारिश करेगी वह आम सहमति से नहीं होगी। विपक्षी पार्टियां किसी हाल में बदलाव के लिए सहमत नहीं होंगी। अंत में हो सकता है कि वोटिंग की नौबत आए, जिसमें विपक्ष के सांसद बदलावों के खिलाफ वोट करेंगे। उसके बाद संसद के अंदर भी वे इसका विरोध करेंगे।

लेकिन उससे पहले बैठकों को लेकर जो विपक्ष का नजरिया है वह भी कम दिलचस्प नहीं है। अगर विपक्षी पार्टियां जेपीसी छोड़ना नहीं भी चाह रही हैं तो यह साफ दिख रहा है कि वे समिति की सिफारिशों से पहले ही इसकी विश्वसनीयता खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। तभी जीपीसी की हर बैठक में हंगामा हो रहा है। ममता बनर्जी के सांसद कल्याण बनर्जी ने समिति में पानी की बोतल तोड़ कर अध्यक्ष के ऊपर फेंक दिया और खुद को घायल कर दिया। इसके जरिए तृणमूल कांग्रेस ने यह मैसेज दिया कि जेपीसी में मुसलमानों के खिलाफ कुछ गंभीर हो रहा है, जिसे रोकने का प्रयास सिर्फ वह कर रही है। हर बैठक से वाकआउट विपक्ष करने का विपक्ष ने रूटीन बना लिया है।

जेपीसी छोड़ने या उसकी विश्वसनीयता खराब करने का मामला विपक्षी पार्टियों के सदस्यों के बयानों से ही उठा। विपक्षी सांसदों ने खुद ही कहा कि वे जेपीसी छोड़ सकते हैं। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल की शिकायत लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से की। विपक्षी सांसद उनसे मिले और बाद में उनको चिट्ठी भी लिखी। विपक्ष ने समिति के अध्यक्ष पर भेदभाव करने और मनमाने तरीके से फैसले करने का आरोप लगाया। जानकार सूत्रों का कहना है कि विपक्ष के सांसद इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्होंने सोचा ही नहीं था कि अलग अलग राज्यों और मुस्लिम समूहों में से किन लोगों को बुलाया जा सकता है और वे क्या कह सकते हैं।

जब लोग आए और उन्होंने वक्फ बोर्ड की गड़बड़ियों की पोल खोली तो विपक्ष को लगा कि खेल उलटा पड़ सकता है। तभी उन्होंने इसकी बैठकों से वाकआउट करना शुरू किया और बहिष्कार कर देने की चेतावनी दी। इतना ही नहीं जब संसद की शीतकालीन सत्र की बैठक से पहले रिपोर्ट को फाइनल  रूप देने के लिए समिति के अध्यक्ष की ओर से स्टडी टूर का ऐलान हुआ ताकि समिति के सदस्य अपनी आंखों से कुछ चीजें देख सकें तो विपक्षी सासंदों ने इसका बहिष्कार कर दिया। शनिवार से स्टडी टूर की शुरुआत की घोषणा हुई लेकिन विपक्ष का कोई सांसद इसमें शामिल नहीं हो रहा है।

By NI Political Desk

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