विपक्षी पार्टियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी के अंधाधुंध कार्रवाइयों के बाद अब आयकर विभाग की बारी है। आयकर विभाग ने अचानक सभी विपक्षी पार्टियों को नोटिस भेजना शुरू किया है और चुनाव के बीच बकाया कर वसूलने का अभियान तेज कर दिया है। आमतौर पर चुनाव के बीच आयकर विभाग चुनाव आयोग के साथ मिल कर काम करता है। Opposition parties Income Tax notice
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चुनाव के दौरान इसका मुख्य काम नकदी पकड़ना होता है ताकि चुनावों में काले धन का या सीमा से अधिकर धन का इस्तेमाल न हो। लेकिन ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग के साथ काम करने के साथ साथ आयकर विभाग स्वतंत्र रूप से भी सक्रिय है और उसके निशाने पर विपक्षी पार्टियां हैं। आयकर विभाग ने पिछले दो हफ्ते में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस और यहां तक की वामपंथी पार्टियों को भी टैक्स का नोटिस भेजा है। Opposition parties Income Tax notice
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कांग्रेस को पहले नोटिस भेज कर उसके खाते से 135 करोड़ रुपए निकाले गए। उसके बाद 524 करोड़ रुपए के कथित बेहिसाबी खर्च के बहाने 1,823 करोड़ रुपए का बकाया नोटिस भेजा गया। इसके बाद दूसरे ही दिन एक और नोटिस भेजा गया, जिसमें कांग्रेस के ऊपर कुल कर बकाया 35 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का बताया गया है। कांग्रेस के ऊपर 1994 के बकाए का भी नोटिस भेजा गया है।
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सोचें, जो बकाया 30 साल से नहीं वसूला गया क्या उसे दो महीने यानी चुनाव तक नहीं रोका जा सकता था? बहरहाल, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने बताया है कि आयकर विभाग ने पार्टी को 11 नोटिस भेजे हैं। हालांकि उन्होंने यह नहीं बता है नोटिस कितने का है लेकिन कहा है कि 72 घंटे के अंदर 11 नोटिस मिले। यहां तक कि देश की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई को पुराना पैन कार्ड इस्तेमाल करने के नाम पर आयकर विभाग ने 11 करोड़ रुपए के बकाए का नोटिस भेजा है। सोचें, अब ये विपक्षी पार्टियां चुनाव लड़ें या आयकर विभाग के नोटिस का जवाब दें और कानूनी लड़ाई लड़ें?