विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार चुनाव हारने की भड़ास मीडिया पर निकाल रहे हैं। कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी और राजद से लेकर जदयू और तृणमूल कांग्रेस तक के नेता मीडिया को निशाना बना रहे हैं। जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह अपने इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर मीडिया पर बुरी तरह भड़के। गुरुवार को उन्होंने मीडिया को निशाना बनाते हुए कहा कि जब इस्तीफा देना होगा तो आपसे परामर्श कर लेंगे। आप जाइए और भाजपा कार्यालय से मेरे इस्तीफे का ड्राफ्ट बनवा कर ले आइए। भाजपा नैरेटिव सेट करती है और मीडिया उसको चलाता है। इस तरह की और भी कई बातें उन्होंने कहीं।
इस तरह राहुल गांधी संसद के शीतकालीन सत्र में मीडिया से कह रहे थे कि कुछ आप भी दिखा दीजिए, आपकी भी जिम्मेदारी है। वे पहले कई बार कह चुके हैं कि मीडिया कांग्रेस की बात नहीं दिखाता है और भाजपा के द्वारा संचालित हो रहा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कई बार लाइव इंटरव्यू में मीडिया को गलत खबर चलाने वाला और भाजपा का प्रचार करने वाला बताया है। मीडिया को जातिवादी और सांप्रदायिक कहना तो फैशन बन गया है। सवाल है कि मीडिया पर भड़ास निकालने से क्या होगा? क्यों नहीं विपक्षी पार्टियां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सबक सीखती हैं? केजरीवाल की दो राज्यों में सरकार है और वे मीडिया की कभी शिकायत नहीं करते क्योंकि मीडिया उनकी खबरें दिखाता है। उनकी तरह ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, हेमंत सोरेन आदि सब सरकार में हैं। इसके बावजूद उनको मीडिया से शिकायत है!