पटना में हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक के बाद जिस तरह की घटनाएं हो रही थीं उनसे लग रहा था कि अगली बैठक तक विपक्ष बिखरा रहेगा। पटना की बैठक के तुरंत बाद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया था कि अगर कांग्रेस दिल्ली की लेकर केंद्र सरकार की ओर से जारी अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है तो केजरीवाल अगली बैठक में शामिल नहीं होंगे। इसी तरह पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव और कुछ दूसरे राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में घमासान छिड़ा था। लेकिन बेंगलुरू बैठक से पहले कांग्रेस ने सब सेट कर लिया है।
कांग्रेस के एक जानकार नेता के मुताबिक एक योजना के तहत बेंगलुरू की बैठक की तारीख 17 और 18 जुलाई रखी गई। चूंकि पटना में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कह दिया था कि अध्यादेश का मामला तो संसद सत्र में तय होगा। उन्होंने इस पर भी हैरानी जताई थी कि केजरीवाल की पार्टी अभी क्यों इस पर इतना हल्ला मचा रही है, जबकि इस बारे में जो भी पहल होगी वह मानसून सत्र में होगी। दूसरी ओर केजरीवाल ने कहा था कि कांग्रेस रुख नहीं तय करती है तो वे बैठक में नहीं जाएंगे। तभी बैठक की तारीख आगे बढ़ाई गई ताकि संसद के मानसून सत्र के लिए कांग्रेस की संसदीय रणनीति समूह की बैठक में अध्यादेश के बारे में विचार हो सके।
सो, 15 जुलाई को रणनीति समूह की बैठक हुई और तय हुआ कि कांग्रेस अध्यादेश का विरोध करेगी। कांग्रेस का यह फैसला पहले से तय था लेकिन वह ऐसा मैसेज नहीं बनने देना चाह रही थी कि अध्यादेश का विरोध वह आम आदमी पार्टी या अरविंद केजरीवाल के दबाव में या उनकी राजनीति के तहत कर रही है। वह दिखाना चाहती थी कि उसका फैसला स्वतंत्र है और संसद सत्र शुरू होने से पहले उसके रणनीतिक समूह ने फैसला किया है। बहरहाल, चाहे जैसे हुआ हो लेकिन कांग्रेस के अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट करने के बाद अब तय हो गया है कि केजरीवाल बेंगलुरू की बैठक में हिस्सा लेंगे।
दूसरा संशय ममता बनर्जी को लेकर था, जिनके खिलाफ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने मोर्चा खोला था। उन्होंने यहां तक कहा था कि पटना की बैठक में कांग्रेस के नेता ममता के साथ शिष्टाचारवश बैठ गए थे। बताया जा रहा है कि परदे के पीछे कांग्रेस नेताओं ने मेहनत करके ममता को तैयार किया है कि वे बेंगलुरू की बैठक में हिस्सा लें। ममता अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ बेंगलुरू की बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कांग्रेस से अपनी नाराजगी दिखाने के लिए 17 जुलाई को होने वाले रात्रिभोज से दूर रहने का फैसला किया है लेकिन 18 जुलाई की बैठक में वे शामिल होंगी। इस बार राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी भी शामिल होंगे। सो, बेंगलुरू बैठक में 25 पार्टियों के हिस्सा लेने का स्टेज तैयार हो गया है।