भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर ने एक बहुत मार्के की बात कही। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों में बहुत ईगो है उनको भाजपा से सीखना चाहिए। सवाल है कि भाजपा से उनको क्या सीखना चाहिए? राजभर ने यह भी कहा कि उनको अमित शाह ने फोन किया और कहा कि वे एनडीए में शामिल हो जाएं। वे इससे इनकार नहीं कर सके। इससे पहले उन्होंने कहा था कि विपक्ष की ओर से न तो उनको किसी ने पूछा और न मायावती को किसी ने पूछा। राजभर ने जो बातें कहीं हैं उससे सचमुच ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियों को भाजपा से कुछ सीखना चाहिए। वह सीखने वाली चीज यह है कि भाजपा को जरूरत लगती है तो वह कितना भी झुक कर समझौता कर सकती है।
सोचें, अमित शाह से भाजपा के बड़े बड़े नेताओं का मिलना और बात करना मुश्किल होता है। उन्होंने खुद फोन करके राजभर से कहा कि वे एनडीए में शामिल हो जाएं। यह भी कहा जा रहा है कि राजभर की पार्टी को तीन लोकसभा सीटें मिलेंगी और राज्य सरकार में एक मंत्री पद भी मिलेगा। उधर लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के नेता चिराग पासवान से मिलने के लिए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय एक हफ्ते में दो बार गए। भाजपा को जरूरत है तो वह छोटा बड़ा नहीं देखती है और न अपना ईगो देखती है। वह आगे बढ़ कर बात करती है और अपनी सीटें छोड़ कर भी समझौता करती है। बिहार में 2019 के चुनाव में उसने ऐसा ही किया था। उससे पहले उसने 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसके 23 सांसद जीते थे। पर जनता दल यू के साथ तालमेल के लिए उसने अपनी 13 सीटें छोड़ दीं, जिनमें से छह जीती हुई सीटें थीं। उसने जदयू के साथ 17-17 सीटों का समझौता किया। पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को एक लोकसभा सीट कम दी तो बदले में राज्यसभा की एक सीट दी। झारखंड में पहली बार उसने सहयोगी पार्टी आजसू के लिए एक लोकसभा सीट छोड़ी। इसके उलट विपक्षी पार्टियां एक एक सीट के लिए जान देने को तैयार हैं।