जिस तरह से दिल्ली में अरविंद केजरीवाल किसी न किसी तरह से हिंदू मतदाताओं को मैसेज देते रहते हैं और अपने को कट्टर हिंदू बताने का प्रयास करते हैं उसी तरह ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी करते हैं। वे लंबे समय तक भाजपा के साथ रहे हैं इसलिए भी जब वे भाजपा के प्रति सद्भाव दिखाते हैं तो लोग उसे मान लेते हैं। उनको पता है कि भाजपा से अलग रहने के बावजूद नवीन पटनायक भाजपा से दूर नहीं हैं। वे नीतिगत मामलों में केंद्र की भाजपा सरकार को समर्थन देते हैं। बदले में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से उनको छूट मिली होती है। वे प्रदेश के भाजपा नेताओं को कुछ नहीं समझते हैं। सबको दिखता है कि कैसे भाजपा के पास वोट नहीं होने के बावजूद पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विनी वैष्णव राज्यसभा चले गए और भाजपा में जाकर भी पूर्व बीजद नेता बैजयंत पांडा कुछ भी हासिल नहीं कर पाए।
बहरहाल, नवीन पटनायक ने अगले साल के लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले फिर एक बार अपना दांव चल दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुल कर तारीफ की है। उन्होंने केंद्र सरकार की वित्त और विदेश नीति की तारीफ करते हुए मोदी सरकार को 10 में से आठ अंक दिए हैं। इस तरह उन्होंने राज्य के मतदाताओं को मैसेज दे दिया है। कहा जा रहा है कि भाजपा के साथ उनकी अंदरखाने बात हो चुकी है और वे पिछली बार की तरह इस बार भी यह सुनिश्चित करेंगे कि भाजपा लोकसभा में सात-आठ सीटें जीत जाए और विधानसभा में ठीक-ठाक सीट जीत कर दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस को आगे नहीं बढ़ने देने के लिए पटनायक की यह रणनीति रहती है, जो भाजपा को भी पसंद आती है। दोनों के इस मिले-जुले खेल का नतीजा है कि कांग्रेस पार्टी ओडिशा में वापसी नहीं कर पा रही है।