लोकसभा के साथ और उसके बाद पिछले साल कुल मिला कर आठ राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए। उससे कुछ दिन पहले भी कई राज्यों के चुनाव हुए थे। ऐसे राज्यों में जितनी पार्टी हारी हैं उनके नेता अब भी पस्त पड़े हैं। किसी भी राज्य में हारी हुई पार्टी ने राजनीतिक गतिविधियां नहीं शुरू की हैं। सब अपने जख्म सहलाने और ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने में लगे हैं। तेलंगाना के चंद्रशेखर राव का पूरा परिवार और पार्टी पस्त हैं तो आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी अभी तक चुनावी हार के सदमे से बाहर नहीं निकले हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी के नेता भी अपनी खोल मे दुबके हुए हैं। हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा से लेकर जम्म कश्मीर तक कांग्रेस भी निष्क्रिय है।
परंतु ओडिशा में छह महीने में ही बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक सड़क पर उतर गए। पहले उनकी पार्टी ने क्षेत्रवार चुनाव की गड़बड़ियों का ब्योरा तैयार किया और उसे चुनाव आयोग को भेजा। उसके बाद खुद नवीन पटनायक अपनी पार्टी को लेकर राज्य सरकार की नाकामियां बताने सड़क पर उतरे। उन्होंने सोमवार को राजधानी भुवनेश्वर में महंगाई और दूसरे मुद्दों को लेकर बड़ी रैली की। आमतौर पर चुनाव के समय, जब जनता जाग्रत रहती है और राजनीति तेज रहती है तब ऐसी रैलियां होती हैं या प्रदर्शन होते हैं। लेकिन चुनाव हारने के छह महीने बाद पटनायक ने जितनी बड़ी रैली की है वह भाजपा की नींद उड़ाने वाली है। भाजपा उनके राज्यसभा सांसदों को तोड़ रही है लेकिन उससे बेपरवाह 77 साल के नवीन बाबू ने जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन किया है।