विपक्षी पार्टियां इस बात पर शोर मचा रही हैं कि हर चरण के मतदान के बाद अंतरिम और अंतिम आंकड़ों में इतना ज्यादा बदलाव क्यों आ रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और अपील की गई कि अदालत अंतिम आंकड़े 48 घंटे में जारी करने का आदेश दे। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया। विपक्ष के नेता इस बात पर सवाल उठा रहे थे कि मतदान के तुरंत बाद जो अंतरिम आंकड़ा जारी होता है उसके मुकाबले अंतिम आंकड़े में चार से छह फीसदी तक की बढ़ोतरी हो जा रही है। कायदे से यह बढ़ोती एक से डेढ़ फीसदी की होनी चाहिए, जैसी पहले होती थी।
लेकिन सबसे हैरानी वाली बढ़ोतरी ओडिशा में हुई है, जहां भाजपा पिछली बार जीती आठ सीटों की संख्या में इजाफा होने का दावा कर रही है। छठे चरण के मतदान के अंतरिम आंकड़े और अंतिम आंकड़े में 14 फीसदी से ज्यादा का फर्क आ गया है। चुनाव आयोग ने 25 मई को मतदान को बाद शाम छह बजे जो आंकड़े जारी किए थे उसके मुताबिक ओडिशा की छह लोकसभा सीटों पर 60.07 फीसदी मतदान हुआ था। लेकिन तीन दिन बाद 28 मई को जो अंतिम आंकड़ा आयोग ने जारी किया उसमें बताया गया कि ओडिशा की छह सीटों पर 74.45 फीसदी वोट पड़े हैं। यानी अंतरिम आंकड़ों के मुकाबले 14.38 फीसदी वोट का इजाफा हो गया। क्या सामान्य स्थितियों में अंतरिम और अंतिम आंकड़ों में इतना अंतर आ सकता है? छठे चरण की कई सीटों पर मतदान का प्रतिशत 80 के करीब पहुंच गया। कांग्रेस वहां बहुत कमजोर है और बाकी विपक्षी पार्टियां नहीं हैं पर बीजू जनता दल के लोग भी इस पर आवाज नहीं उठा रहे हैं। वैसे भी वहां भाजपा और बीजद के मिले होने के आरोप काफी समय से लग रहे हैं।