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ओडिशा में अस्मिता का दांव कितना चलेगा

ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी के नेता न सिर्फ लोकसभा की ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं, बल्कि पार्टी की ओर से यह दावा भी किया जा रहा है कि राज्य में उसकी सरकार बनने जा रही है। लेकिन मुश्किल यह है कि भाजपा के पास ओडिशा में कोई मुद्दा नहीं है और न कोई चेहरा है, जिसको आगे करके वह चुनाव लड़ रही है। भाजपा के पास ले देकर एक अस्मिता का मुद्दा है और उसका टारगेट सिर्फ वीके पांडियन हैं। पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन को निशाना बना कर भाजपा चुनाव लड़ रही है। भाजपा के साथ मुश्किल यह है कि वह नवीन पटनायक पर हमला नहीं कर पा रही है। चुनाव से थोड़े दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको अपना मित्र बताया था और उनकी पार्टी बीजू जनता दल के साथ तालमेल की बात भी आगे बढ़ गई थी।

दिलचस्प बात यह है कि उस समय तालमेल की बातचीत वीके पांडियन ही कर रहे थे। तब उनसे भाजपा को कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन अब भाजपा ने यह मुद्दा बनाया है कि वे तमिलनाडु के हैं और वे कैसे ओडिशा के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसके अलावा भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है। अयोध्या में राममंदिर का मुद्दा ओडिशा में चलेगा नहीं क्योंकि ओडिया लोगों के लिए भगवान जगन्नाथ सबसे पहले हैं और उनके मंदिर का सौंदर्यीकरण नवीन बाबू  कराया है। ऊपर से भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने गलती से ही सही लेकिन कह दिया कि भगवान जगन्नाथ भी मोदी के भक्त हैं। इससे भी भाजपा की स्थिति बिगड़ी है।

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