भारतीय जनता पार्टी की सरकार में किस तरह से नैरेटिव बदल जाते हैं इसकी मिसाल ट्रेन दुर्घटनाएं हैं। पहले भी ट्रेन दुर्घटनाएं होती थीं लेकिन शायद ही किसी हादसे के बाद कहा जाता था कि साजिश के तहत दुर्घटना कराई गई है। भाजपा की सरकार में भी काफी समय तक ऐसा नहीं कहा जाता था। लेकिन आईएएस अधिकारी रहे अश्विनी वैष्णव जब से रेल मंत्री हुए हैं तब से हादसों का पूरा नैरेटिव बदल गया है। अब कहीं भी ट्रेन दुर्घटना होती है तो उसमें घायलों या मरने वालों की सूचना से पहले यह खबर आती है कि साजिश के तहत ट्रेन दुर्घटना को अंजाम दिया गया है।
पहले ट्रेन दुर्घटना होती थी तो खबर आती थी कि कितने डब्बे पटरी से उतरे, कितने लोग घायल हुए, कितने लोग मरे, कितनी ट्रेनें रद्द करनी पडीं, आपात नंबर क्या है आदि आदि। लेकिन अब ये खबरें नहीं आती हैं। अब एक लाइन में बता दिया जाता है कि साजिश के तहत ट्रेन दुर्घटना कराई गई। असल में जब से रेल मंत्री ने ट्रेन दुर्घटना को छोटी घटना करार दिया तब से सोशल मीडिया में हर छोटी बड़ी या यात्री और मालगाड़ी के डिब्बे पटरी से उतरने या किसी और हादसे को रेल मंत्री की जुबान में छोटी घटना बता कर सोशल मीडिया में उसे वायरल किया जाने लगा। थोड़े दिन तो रेल मंत्री महोदय और उनकी पीआर टीम ने इसको देखा और जब लगा कि इससे धारणा प्रभावित हो रही है तो तुरंत इसकी काट के तौर पर साजिश का पहलू जोड़ दिया गया। इसमें संदेह नहीं है कि कई जगह सिलेंडर या दूसरी चीजें रेलवे ट्रैक पर रखे जाने की खबरें आई हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि सारे हादसे किसी साजिश का नतीजा हैं।