तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मेडिकल में दाखिले के लिए होने वाली अखिल भारतीय परीक्षा नीट का विरोध लंबे समय से कर रहे हैं। उन्होंने विधानसभा से इसका प्रस्ताव पास कराया है। इस मामले में राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्ना डीएमके भी उनके साथ है। लगभग सभी पार्टियां चाहती हैं कि तमिलनाडु को नीट से बाहर किया जाए। ध्यान रहे तमिलनाडु में मेडिकल की पढ़ाई का बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा है और वहां पहले 12वीं के अंकों के आधार पर मेडिकल में दाखिला होता था। वहां के बच्चों को मेडिकल पढ़ने के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना होता था। लेकिन नीट लागू होने के बाद सब कुछ बदल गया है और इसका नतीजा यह हुआ है कि हर बार नीट के नतीजों के समय राज्य में छात्रों की खुदकुशी की खबरें आती हैं।
स्टालिन ने कहा है कि नीट को हटाने के लिए आंदोलन की बात कही है। उन्होंने कहा है कि वे जनता का साथ लेकर परीक्ष की इस व्यवस्था को खत्म कराएंगे। इसी तरह उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई के बाद प्रैक्टिस शुरू करने से पहले होने वाले एक्जिट टेस्ट यानी नेक्स्ट का भी विरोध करने का फैसला किया है। कई जानकार भी इस व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन मेडिकल, कानून आदि की पढ़ाई के बाद प्रैक्टिस शुरू करने से पहले एक्जिट टेस्ट की शुरुआत पूरे देश में हो गई है। इसे भी स्टालिन ने जनता को साथ लेकर खत्म करने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे ताकि केंद्र में सरकार बना कर इसे बदला जा सके।