मेडिकल में दाखिले के लिए हुई नीट यूजी की परीक्षा को लेकर केंद्र सरकार दुविधा में है। कह सकते हैं कि उसकी स्थिति सांप छुछुंदर वाली हो गई है। अगर परीक्षा रद्द करते हैं तो 24 लाख छात्रों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी और अगर नहीं रद्द करते हैं तो नीट की परीक्षा की पवित्रता को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं उसका जवाब देना होगा। सरकार के बारे में यह धारणा बनेगी कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए की गड़बड़ियों पर वह परदा डाल रही है। उसके ऊपर परीक्षा की अनियमितता को समर्थन देने का आरोप लगेगा और कहा जाएगा कि वह कुछ बड़े लोगों को बचा रही है। तभी सरकार इस बारे में कोई फैसला नहीं कर पा रही है। सवाल है कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अपने को बचाएगी? परीक्षा रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आठ जुलाई को सुनवाई है। अगर अदालत परीक्षा रद्द कर दे तो सरकार फिर से परीक्षा आयोजित कर दे और अगर अदालत रद्द नहीं करे तो सरकार भी पल्ला झाड़ ले और सीबीआई की जांच चलती रहे।
असल में सरकार की मुश्किल इसलिए बढ़ी है क्योंकि हर दिन किसी न किसी नए राज्य में नीट के पेपर लीक होने का खुलासा हो रहा है। नए तथ्य सामने आ रहे हैं, जिनसे पता चल रहा है कि पेपर लीक हो गए थे या परीक्षा में किसी दूसरे तरीके से धांधली हुई है। इससे परीक्षा की पवित्रता भंग होने की धारणा मजबूत हो रही है। दूसरी ओर परीक्षा नहीं रद्द करने को लेकर भी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। ‘नो रीटेस्ट’ का भी प्रदर्शन चल रहा है। ज्यादातर छात्र और उनके अभिभावक चाहते हैं कि परीक्षा नहीं रद्द हो। तभी जिस तरह से आनन फानन में यूजीसी नेट या नीट पीजी की परीक्षा रद्द कर दी गई उस तरह नीट यूजी का फैसला नहीं हो पा रहा है।