नई लोकसभा का पहला सत्र तीन जुलाई तक चलने वाला था। सत्र की घोषणा के साथ ही कहा गया था कि 24 जून से 18वीं लोकसभा का पहला सत्र और 27 जून से राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू होगा, जो तीन जुलाई तक चलेगा। दो जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा समाप्त हो गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सवा दो घंटे का भाषण देकर उसका जवाब दिया। उसके बाद अचानक लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। प्रधानमंत्री ने एक दिन बाद तीन जुलाई को राज्यसभा में जवाब दिया और उसके बाद राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई।
अगर लोकसभा की कार्यवाही तीन जुलाई को चलती तो उसमें मेडिकल दाखिले की परीक्षा में हुई कथित गड़बड़ी के ऊपर चर्चा हो सकती थी। विपक्ष के नेता पहले दिन से इसकी मांग कर रहे थे और दो जुलाई को तो नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिख कर नीट पर चर्चा कराने का अनुरोध किया था। लेकिन राहुल की चिट्ठी की अनदेखी करके सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसका मतलब है कि सरकार किसी स्थिति में नीट पर चर्चा के लिए तैयार नहीं थी। पहले उसने कहा था कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान काम रोको प्रस्ताव नहीं पेश किया जा सकता है और दूसरे विषय पर चर्चा नहीं हो सकती है। लेकिन धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के बाद एक दिन का समय बचा था उसमें चर्चा कराने की बजाय कार्यवाही समाप्त कर दी गई।