nda government : केंद्र सरकार को काम अब भी मनमाने तरीके से ही करना है लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजे का बड़ा असर यह हुआ है कि वह सहमति बनाने का प्रयास करते दिखना चाहती है।
इससे पहले दो कार्यकाल में यानी 2014 से 2024 के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सहमति बनाने का कोई प्रयास नहीं किया था। यहां तक कि प्रयास करते हुए दिखने की भी कोशिश नहीं की थी।
केंद्र ने अनुच्छेद 370 खत्म करके जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने का फैसला भी एकतरफा किया था और संशोधित नागरिकता कानून जैसे विवादित विषय पर भी विपक्ष के साथ सहमति बनाने का प्रयास नहीं किया था।
लेकिन तीसरे कार्यकाल में बहुमत कम होने के बाद केंद्र सरकार हर विवादित या बड़े विषय पर विपक्ष के साथ सहमति बनाने का प्रयास करते दिखना चाहती है। (nda government)
ऐसा लग रहा है कि वह विपक्ष से ज्यादा अपनी सहयोगी पार्टियों की चिंता में ऐसा कर रही है। ध्यान रहे इस बार की मोदी सरकार एनडीए की सरकार है, जो टीडीपी और जदयू जैसी पार्टियों के समर्थन से चल रही है।
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नया आयकर कनून लाने का ऐलान (nda government)
तीसरी सरकार बनने के बाद सरकार ने जो पहला बड़ा कदम उठाया था वह वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन का था। इसके लिए एक बिल पेश किया गया।
बिल पेश होने के साथ ही सरकार ने इस पर विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन कर दिया। उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसे बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन पेश कर दिया गया।
इसके बाद सरकार ने ‘एक देश, एक चुनाव’ लागू करने के लिए संविधान के 129वें संशोधन का बिल पेश किया और उसे भी संयुक्त संसदीय समिति के हवाले कर दिया। (nda government)
राजस्थान के भाजपा सांसद पीपी चौधरी उस समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। इसके बाद इस साल बजट में वित्त मंत्री ने आयकर कानून 1961 को बदल कर नया आयकर कनून लाने का ऐलान किया।
इसका बिल बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन पेश हुआ और उसे प्रवर समिति को भेज दिया गया। ओडिशा के भाजपा सांसद बैजयंत पांडा उसकी अध्यक्षता करेंगे।
एक देश, एक चुनाव का कानून
अभी एक वक्फ बोर्ड विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट आई है और उस पर विचार के लेकर रिपोर्ट तैयार करने तक में सब कुछ सत्तापक्ष के हिसाब से हुआ। (nda government)
विपक्षी पार्टियों की तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया। पहले तो विपक्ष की आपत्तियों को रिपोर्ट से हटा दिया गया था लेकिन इसे पेश करने के दिन सरकार ने यू टर्न लिया और कहा कि आपत्तियों को शामिल किया जाएगा।
सरकार बिना जेपीसी बनाए भी इस बिल को पेश और पास करा सकती थी। लेकिन उसको पता था कि यह संवेदनशील विषय है, जिस पर विपक्ष के साथ साथ सहयोगी पार्टियों जैसे जदयू, टीडीपी, लोजपा आदि को आपत्ति हो सकती है।
इसलिए उसको जेपीसी में भेज दिया। ‘एक देश, एक चुनाव’ का कानून भी ऐसा है, जिसे बिना पूर्ण सहमति के नहीं लागू किया जा सकता है। (nda government)
ऐसे ही छह दशक से ज्यादा पुराने आयकर कानून को बदलने से पहले भी सरकार यह दिखना चाह रही है कि वह आम सहमति से विधायी कामकाज कर रही है।
हालांकि होना वही है, जो सरकार चाहती है लेकिन धारणा के स्तर पर आम सहमति से चलने वाली सरकार की छवि बनाई जा रही है।