राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

जदयू को पूरी तरजीह दे रहे हैं मोदी

भले जनता दल यू ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को समर्थन देने के बदले कोई मांग नहीं रखी या मोलभाव नहीं किया लेकिन भाजपा उसका पूरा ख्याल रख रही है। दोनों पार्टियों के बीच परफेक्ट तालमेल भी दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी पिछले दिनों बिहार के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के नए रूप का उद्घाटन किया तो उन्होंने भाजपा के प्रदेश नेताओं के साथ भी बातचीत की थी। बताया जा रहा है कि मोदी ने सभी प्रदेश नेताओं को बहुत साफ शब्दों में निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि नीतीश के नेतृत्व में ही बिहार विधानसभा का अगला चुनाव लड़ा जाएगा।

बिहार में नीतीश के हिसाब से कैसे राजनीति हो रही है यह भगवान सिंह कुशवाहा और उपेंद्र कुशवाहा के मामले में देखने को मिला। बिहार में दो राज्यसभा सांसदों, विवेक ठाकुर और मीसा भारती के लोकसभा चुनाव जीतने से खाली हुई दो राज्यसभा सीटों में से एक पर नीतीश कुमार का दावा था। लेकिन उन्होंने वह सीट उपेंद्र कुशवाहा के लिए छोड़ दी। भाजपा ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा का चुनाव हार गए थे। लेकिन अब वे मीसा भारती के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर राज्यसभा में जाएंगे। इस सीट का चार साल का कार्यकाल बचा हुआ है। नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा के लिए सीट छोड़ी तो भाजपा ने विधान परिषद की एक सीट पर दावा नहीं किया, जिससे नीतीश ने भगवान सिंह कुशवाहा को उच्च सदन में भेजा है।

दिल्ली में भी दोनों पार्टियों के बीच परफेक्ट तालमेल का एक सबूत बुधवार को मिला, जब राज्यसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से औपचारिक मुलाकात के लिए गए। उनके साथ राज्यसभा में भाजपा के नेता जेपी नड्डा थे और जनता दल यू के नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह भी थे। सोचें, ललन सिंह राज्यसभा सांसद नहीं हैं और वे लोकसभा में हैं। फिर भी प्रधानमंत्री उनको अपने साथ ले गए और दोनों की एक साथ सोफे पर बैठी हुई फोटो अखबारों में छपी। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने दो अहम कैबिनेट कमेटियों में ललन सिंह को शामिल किया है। वे आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी यानी सीसीईए और संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी यानी सीसीपीए के सदस्य बनाए गए हैं।

दिल्ली से लेकर पटना तक भाजपा की ओर से जनता दल यू और नीतीश कुमार के प्रति जो सद्भाव दिखाया जा रहा है वह सिर्फ केंद्र की राजनीति या केंद्र सरकार के बहुमत के लिए जदयू के समर्थन की वजह से नहीं है। कहा जा रहा है कि बिहार में समय से पहले चुनाव हो सकता है और भाजपा नहीं चाहती है कि 2015 दोहराया जाए। उस समय लालू प्रसाद और नीतीश कुमार मिल कर लड़े थे तो भाजपा को सिर्फ 54 सीटें मिली थीं। भाजपा नीतीश को साथ रखना चाहती है और उनकी सेहत को देखते हुए भाजपा को यह भी उम्मीद है कि स्वाभाविक रूप से सत्ता का हस्तांतरण भाजपा को हो जाएगा।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *