दो जुलाई को एनसीपी में अलग खेमा बना कर महाराष्ट्र की शिव सेना और भाजपा सरकर को समर्थन देने के बाद अजित पवार के खेमे ने पार्टी के संस्थापक और सर्वोच्च नेता शरद पवार पर तीखा हमला किया था। लेकिन दो हफ्ते के बाद ही अजित पवार और उनके साथ बाकी आठ मंत्री पवार के चरणों में बैठे हुए थे। अजित पवार और उनके साथ शरद पवार से मिलने गए प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल ने जो बातें पहले कही थीं और जो बातें रविवार को कहीं उनको किसी राजनीतिक डिस्कोर्स में शर्मनाक माना जाएगा।
अजित पवार ने कहा था कि सरकारी कर्मचारी 58 साल में रिटायर होता है, भाजपा के नेता 75 साल में रिटायर होते हैं शरद पवार 82 साल के हो गए हैं तो क्यों नहीं रिटायर हो रहे। प्रफुल्ल पटेल ने तो 2022 में शरद पवार के अध्यक्ष चुने जाने पर ही सवाल उठाया था और कहा था कि उनका चुना जाना अवैध था क्योंकि वह चुनाव पार्टी संविधान के मुताबिक नहीं हुआ था। भुजबल ने इस बात पर सवाल उठाया था कि पवार बार बार उनके क्षेत्र में क्यों जा रहे हैं।
उसके बाद ये तीनों नेता रविवार को कह रहे थे कि उन्होंने भगवान यानी शरद पवार के चरणों में बैठ कर आशीर्वाद लिया और प्रार्थना की। भगवान ने उनकी बात सुनी, कुछ कहा नहीं। सोचें, अब शरद पवार भगवान हो गए, जिनके उम्र को आधार बना कर रिटायर होने की बात कही जा रही थी। सो, सवाल है कि ऐसा क्या खेल चल रहा है, जिसके तहत एनसीपी के नेता शरद पवार से मिले? क्या पवार पार्टी की एकता बनाए रखने के लिए चुप्पी साध लेंगे और जो चल रहा है उसे चलते रहने देंगे? या फिर से अजित पवार खेमा घर वापसी करेगा? दोनों काम आसान नहीं हैं। फिर भी अगले दिन में कुछ तो दिलचस्प होगा।