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नाम बदलने की मुहिम कहां तक जाएगी?

भारतीय जनता पार्टी की ख्याति शहरों, सड़कों, रेलवे स्टेशनों आदि के नाम बदलने की रही है। इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज हो गया। मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर दीनदयाल उपाध्यक्ष नगर हो गया। औरंगजेब रोड का नाम बदल कर एपीजे अब्दुल कलाम रोड हो गया। ये तीन प्रतीकात्मक नाम हैं। बाकी ऐसी बहुत सी मिसाले हैं। अब ऐसा लग रहा है कि मध्यकाल और आधुनिक काल के नाम बदलने के बाद भाजपा की केंद्र सरकार प्राचीन काल के नाम बदलने की मुहिम शुरू करने वाली है। केंद्र सरकार ने अब सीधे हड़प्पा की सभ्यता का ही नाम बदल दिया है। केंद्र की एनडीए सरकार ने स्कूली शिक्षा के लिए नेशनल कैरिकुलम फ्रेमवर्क के तहत समाज विज्ञान की जो पहली किताब जारी की है उसमें कई चीजों के प्राचीन नाम बदल दिए गए हैं।

सोचें, भारत में किसी भी वस्तु या घटना की प्राचीनता बताने के लिए उसे हड़प्पाकालीन बताया जाता है। यह प्राचीनता का प्रतीक है। एनसीईआरटी ने छठी क्लास के लिए समाज विज्ञान की किताब जारी की है, जिसका नाम है ‘एक्सप्लोरिंग सोसायटीः इंडिया एंड बियॉन्ड’। इस किताब में हड़प्पा सभ्यता का नाम बदल कर ‘सिंधु सरस्वती’ सभ्यता कर दिया गया है। इसे ‘इंडस सरस्वती’ भी कहा जाएगा। इसका मतलब है कि हड़प्पा और मुअनजोदड़ो की जो पढ़ाई अब तक इतिहास की किताबों में होती थी उसकी पढ़ाई और ‘सिंधु सरस्वती’ सभ्यता के नाम से होगी। इस तरह भारत सरकार ने मिथकीय नदी सरस्वती को इतिहास की किताब में शामिल करा दिया। इसी तरह एनसीईआरटी की किताब में प्राइम मेरिडियन जिसे ग्रीनविच लाइन भी कहते हैं उसका भी नाम बदल दिया है। अब प्राइम मेरेडियन को उज्जैनी मेरिडियन कहा जाएगा।

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By NI Political Desk

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