भारत सरकार ने एक देश, एक परीक्षा एजेंसी की अपनी धुन में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए का गठन किया था। जब से इसका गठन हुआ है तब से लगभग हर परीक्षा में इस एजेंसी ने छोटी या बड़ी गलती की है। पिछले साल के मेडिकल दाखिले की परीक्षा की गड़बड़ी तो पूरे देश में हुई, जिसके लिए एजेंसी की बड़ी थू थू हुई। अदालतों से फटकार पड़ी और मजबूरी में सरकार को एक कमेटी बनानी पड़ी, जिसने एनटीए में सुधार के सुझाव दिए। इस सुझाव के आधार पर अब एनटीए को सिर्फ दाखिला परीक्षाएं करानी हैं और नौकरियों की परीक्षा उससे छीन कर अलग अलग एजेंसियों को दे दी गई है। इसके बावजूद एजेंसियों की गलतियों का सिलसिला थम नहीं रहा है।
अभी इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए हुई जेईई मेन्स की परीक्षा के पहले चरण का रिजल्ट आया है। नतीजे के बाद पता चला है कि एनटीए ने इस साल 12 सवाल ड्रॉप किए और उनके नंबर सभी अभ्यर्थियों को दिए गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि या तो सवाल गलत थे या सिलेबस से बाहर के थे। इससे पहले कभी जेईई मेन्स की परीक्षा में इतने सवाल नहीं ड्रॉप हुए थे। इससे पहले का जो रिकॉर्ड था वह भी एनटीए ने ही बनाया था। पिछले साल दूसरे चरण की परीक्षा में छह सवाल गलत होने की वजह से ड्रॉप हुए थे और उनके अंकों का सामान्यीकरण हुआ था। इस बार पहले चरण में ड्रॉप हुए सवालों की संख्या पिछले रिकॉर्ड से दोगुनी हो गई है। पता नहीं सरकार क्यों ऐसी एजेंसी को बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने दे रही है?