महिला आरक्षण बिल, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तौर पर पेश किया गया है उसका श्रेय क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिल पाएगा? इसे लेकर दो राय है। भाजपा के ही नेता मान रहे हैं कि अगल अगले साल के लोकसभा चुनाव में इसे लागू कर दिया जाता तब तो प्रधानमंत्री मोदी को इसका श्रेय मिल जाता। लेकिन अगर यह 2029 के लोकसभा चुनाव तक टला रहता है तो उस समय तक श्रेय लेने का समय निकल जाएगा। उनका सवालिया लहजे में यह कहा था कि अभी तत्काल इस कानून का श्रेय कैसे किसी को मिल सकता है, जबकि इसे लागू ही नहीं किया जा रहा है?
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी भी जोर-शोर से इसका श्रेय लेने में जुट गई है। मंगलवार को जिस समय यह बिल पेश हुआ उसी समय कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सबसे पहले राजीव गांधी ने महिलाओं के लिए आरक्षण देने का प्रयास किया था। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने इसका समर्थन किया। इस बात को बुधवार को सोनिया गांधी ने लोकसभा में उठाया। अरसे बाद सोनिया ने किसी विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने लोकसभा में कहा कि स्थानीय निकाय में महिलाओं को आरक्षण देने का बिल सबसे पहले राजीव गांधी लाए थे, जो राज्यसभा में सात वोट से गिर गया था। बाद में नरसिंह राव सरकार ने यह बिल पास कराया। उन्होंने एक दिन पहले कहा था कि यह कांग्रेस का बिल है। लेकिन दूसरी ओर भाजपा नेताओं का तर्क है कि किसी ने कुछ भी किया हो, जिसने गोल किया उसी का गोल माना जाएगा। इसलिए इसका श्रेय मोदी को जाएगा।