भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी को अचानक हटा दिया गया। लोकसभा चुनाव से पहले अकेले एक सचिव को हटाया गया है। तभी यह सवाल उठ रहा है कि क्या केंद्र सरकार में सचिवों के स्तर पर और बदलाव होंगे या यथास्थिति रहेगी?
एक अकेले सचिव के तबादले से सवाल भी उठे हैं। मनोज जोशी को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से हटा कर ग्रामीण विकास मंत्रालय के भू संपदा विभाग में भेज दिया गया है। यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या यह किसी तरह की पनिशमेंट है?
असल में मनोज जोशी ने 29 फरवरी को प्रेस कांफ्रेंस करके पहले पेयजल स्वच्छता पुरस्कार का ऐलान किया था। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में बताय था कि देश के 485 शहरों में पानी का नमूना जांच के लिए दिया गया था, जिसमें से सर्फ 46 शहरों का नमूना सौ फीसदी पास हुआ यानी करीब 440 शहरों का पानी जांच में फेल हो गया।
बताया जा रहा है कि मंगलवार को ही पुरस्कार दिया जाना था लेकिन सरकार ने उसे टाल दिया और उसके बाद मनोज जोशी की छुट्टी हो गई। ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले सर्वेक्षण और पानी के नमूनों का रिकॉर्ड जनता के सामने आने की संभावना से सरकार पीछे हट गई।
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