जितना बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौथे चरण के मतदान से पहले अंबानी और अडानी का नाम क्यों लिया उतना ही बड़ा सवाल यह भी है कि क्या वे फिर आगे के प्रचार में किसी दिन इन दोनों के नाम का जिक्र करेंगे? ऐसा लग नहीं रहा है कि वे फिर इन दोनों कारोबारियों का जिक्र करेंगे। तभी यह माना जा रहा है कि अंबानी, अडानी का जिक्र करना और यह कहना कि कांग्रेस को उनसे बोरे में या टेंपो में भर कर काला धन मिल रहा है, एक रणनीतिक गलती थी।
प्रधानमंत्री ने भी नहीं सोचा होगा कि इसकी इतनी बड़ी प्रतिक्रिया होगी और कांग्रेस को अपनी बातें साबित करने का एक मौका मिल जाएगा। उनको लग रहा था कि इससे कांग्रेस और खास कर राहुल गांधी की साख बिगड़ेगी। प्रधानमंत्री को भरोसा था जैसे वे जब चाहते हैं तब राजनीतिक और सामाजिक विमर्श को बदल देते हैं और अपना नैरेटिव सेट कर देते हैं वैसे ही इस मामले में भी कर लेंगे। लेकिन यह दांव उलटा पड़ गया है। उलटे देश के चुनिंदा कारोबारियों की सरकार द्वारा मदद और उनके पास काला धन जमा होने की राहुल गांधी की बात इससे सही साबित हो गई। प्रधानमंत्री के बयान से कांग्रेस को तो मौका मिला ही दूसरी ओर कारोबारी घरानों में भी प्रधानमंत्री को लेकर को लेकर यह संदेश गया कि राजनीतिक फायदे के लिए वे किसी को भी दांव पर लगा सकते हैं।
इस मामले में गलती का अहसास होने के बाद भाजपा बैकफुट पर है। प्रधानमंत्री तो कुछ नहीं ही बोल रहे हैं, उनकी पार्टी के प्रवक्ताओं ने भी इस पर चुप्पी साधे रखी। अंबानी, अडानी के बयान के बाद स्थिति ऐसी बदली है कि अब प्रधानमंत्री मोदी मीडिया समूहों को इंटरव्यू देने के साथ साथ रोड शो के दौरान मीडिया को बाइट भी देने लगे हैं। पटना में रोड शो के दौरान कई मीडिया समूहों ने उनसे बात की और सबने इसे एक्सक्लूसिव की तरह चलाया। इसमें अंबानी और अडानी दोनों के चैनल भी हैं। ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री को अपने इतने भाषणों के बावजूद मीडिया के जरिए आउटरीच बढ़ाने की जरुरत महसूस हो रही है। आगे इस पर और नजर रखने की जरुरत है।
दूसरी ओर कांग्रेस अंबानी और अडानी के मामले का अधिकतम लाभ लेने के प्रयास में लगी है। कांग्रेस नेता लगातार चुनाव प्रचार में इसका जिक्र कर रहे हैं। राहुल गांधी तो अपनी बात कह ही रहे हैं लेकिन साथ ही कांग्रेस के दूसरे नेता भी किसी न किसी बहाने दोनों का नाम और प्रधानमंत्री की ओर से लगाए गए आरोपों को चर्चा में ला रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा की चुप्पी पर कह दिया कि वे टेंपो भर कर मिले रुपए गिनने में बिजी हैं। काला धन, बोरा भर कर और टेंपों भर कर रुपया भेजने की प्रधानमंत्री की बात का कांग्रेस ने इतना प्रचार किया है कि वह भाजपा के गले की हड्डी बन गई है।