लोकसभा चुनाव में 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई रणनीति के साथ साथ अपनी आजमाई हुई रणनीति भी अमल में ला रहे हैं। उनकी एक आजमाई हुई रणनीति है विपक्ष को भड़काने की। हर चुनाव में वे इसे आजमाते हैं और हर बार कोई न कोई नेता उनके जाल में फंस जाता है। भड़क कर उनके खिलाफ अनापशनाप बोल जाता है या उनके बारे में कोई बुरी बात कह देता है। इसका फायदा वे उठा लेते हैं। मोदी को पता है कि विपक्ष के नेता उनके खिलाफ कई बड़े मुद्दे उठा सकते हैं। 10 साल के शासन में लोगों की नाराजगी बढ़ाने वाले कई कारण पैदा हुए हैं। एंटी इन्कम्बैंसी भी बहुत है। इसी तरह मोदी को पता है कि उनके नेता और उम्मीदवार बहुत कमजोर हैं, जिनके खिलाफ विपक्ष मजबूत है। लेकिन उनको पता है कि अभी उनसे लड़ने की स्थिति विपक्ष के किसी नेता की नहीं है।
यही कारण है कि उन्होंने सब कुछ अपने ऊपर केंद्रित कराया है। वे नहीं चाहते हैं कि उनके उम्मीदवार के बारे में चर्चा हो या सरकार के कामकाज की चर्चा हो। महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, पर्यावरण आदि किसी भी जरूरी मुद्दे पर वे ध्यान नहीं जाने देना चाहते हैं। उनको पता है कि अगर मुद्दों पर या उम्मीदवार के नाम पर लड़ाई हुई तो भाजपा के पास लड़ने को कुछ नहीं है। लेकिन अगर लड़ाई उन पर केंद्रित रही तो विपक्ष कमजोर पड़ेगा। तभी वे विपक्षी नेताओं के खिलाफ कुछ भी कह रहे हैं ताकि वे भड़क कर उनके ऊपर हमला करें। विपक्ष के पानी की टोंटी चोरी करने या अल्पसंख्यक वोट के लिए विपक्ष के गुलामी और मुजरा करने वाले उनके बयान का मकसद भी यही है। हालांकि अभी तक विपक्षी पार्टियों ने उनको मौका नहीं दिया। इस बार विपक्ष के किसी नेता ने भी मोदी के खिलाफ अशालीन भाषा में बयान नहीं दिया है। इसलिए आखिरी दौर में आते आते प्रधानमंत्री की भाषा और कटु होती जा रही है।