प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को लेकर कुछ ज्यादा बेचैन नजर आ रहे हैं। क्या उनको ठीक फीडबैक नहीं मिल रही है? बिहार में कायदे से भाजपा को चिंता करने की जरुरत नहीं होनी चाहिए क्योंकि नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन से तोड़ कर अपने साथ लाने के बाद भाजपा का सामाजिक समीकरण और गणित व केमिस्ट्री दोनों ठीक हो गई है। चुनाव में भी चुनिंदा सीटों को छोड़ कर भाजपा के सामने ज्यादा चुनौती नहीं दिखी है। फिर भी प्रधानमंत्री मोदी के बिहार के भाषणों पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। उनके बिहार दौरे भी बहुत चर्चा में रहे हैं। यह पहली बार हुआ कि दो हफ्ते के भीतर प्रधानमंत्री मोदी ने दो बार पटना में रात्रि विश्राम किया। उन्होंने पटना में रोड शो भी किया। यह भी पहली बार हुआ।
वे पटना साहिब और पाटलिपुत्र दोनों सीटों के लिए प्रचार करने अलग अलग पहुंचे। उन्होंने बिहार की एक सभा में तेजस्वी यादव की गिरफ्तारी की बात कही, जिसे लेकर बहुत विवाद हुआ है। तेजस्वी ने तो चुनौती दी है और कहा कि गुजराती से बिहारी नहीं डरता है। दिल्ली में कपिल सिब्बल ने भी कहा कि प्रधानमंत्री के बयान से स्पष्ट हो गया है कि केंद्रीय एजेंसियां और कानून उनके कहने से काम कर रहा है। इसी तरह बिहार में ही प्रधानमंत्री मोदी ने अल्पसंख्यक वोट के लिए विपक्षी पार्टियों के मुजरा करने वाला बयान दिया। इस बयान पर भी पूरे देश में विवाद हुआ है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री को पद की गरिमा का ख्याल रखने की नसीहत दी है।