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तेजस्वी और अखिलेश दोनों की बेचैनी

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लोकसभा चुनाव के बाद सबसे ज्यादा बेचैनी मुस्लिम वोट को लेकर मची है और वह बेचैनी भी सबसे ज्यादा तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव में है। दोनों को लग रहा है कि कांग्रेस के उभरने से उनका मुस्लिम वोट बैंक खतरे में है। मुसलमान कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। इस चिंता में दोनों पार्टियां कुछ भी कर रही हैँ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव महाराष्ट्र गए तो पांच सीटों पर उम्मीदवार घोषित किया और पांचों मुस्लिम थे। अब सपा उन पांचों की टिकट के लिए कांग्रेस से लड़ रही है। उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उसमें भी अखिलेश ने नौ में सें चार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। अब उन्होंने इसी बेचैनी में आजम खान को स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया है। सोचें, आजम खान जेल में बंद हैं लेकिन सपा ने उनको स्टार प्रचारक बना दिया। आजम खान के समर्थक भी इससे नाराज हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम वोट के लिए अखिलेश ने यह काम किया है।

उधर बिहार में लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने गैंगेस्टर शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब और उनके बेटे ओसामा को राजद में शामिल कराया है। शहाबुद्दीन की मौत पर उनके अंतिम संस्कार में लालू परिवार का कोई सदस्य नहीं गया था। लेकिन एक उपचुनाव और लोकसभा चुनाव में हीना शहाब और ओसामा ने अपनी ताकत दिखाई। इस बीच बिहार के उपचुनाव में प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद के यादव उम्मीदवार के खिलाफ मुस्लिम उतार कर एक नया नैरेटिव बनाया है। वे कह रहे हैं कि जहां मुस्लिम ज्यादा होते हैं वहां यादव उम्मीदवार उतार कर लालू अपना दांव साधते हैं। ऊपर से बिहार में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दो मुस्लिम सांसद जीत गए, जबकि लालू प्रसाद का एक भी मुस्लिम सांसद नहीं जीता। सो, मजबूरी में शहाबुद्दीन के परिवार की मान मनौव्वल करके उनको राजद में शामिल कराया गया है और सोशल मीडिया की अपनी टीम के जरिए इसका माहौल बनाया जा रहा है।

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