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ईडी का जब्त पैसा गरीब को कब मिलेगा?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के प्रचार में कहा था कि उनकी तीसरी बार सरकार बनी तो प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने जो पैसा और संपत्ति जब्त की है उसे गरीब लोगों को लौटाने का कानून बनाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि सरकार उन लोगों को पैसा लौटाएगी, जिनसे लूटा गया है। इस संदर्भ में उन्होंने पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले का जिक्र किया था। लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते जमीन के बदले नौकरी देने के कथित घोटाले का जिक्र किया था और केरल में सहकारी बैंकों द्वारा कथित तौर पर हजारों करोड़ रुपए लूटे जाने का जिक्र किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि बिहार में जिन लोगों की जमीन ली गई थी उन्हें जमीन लौटाने या शिक्षक भर्ती घोटाले में जिन गरीबों से पैसा लिया गया था उनका पैसा लौटाने की योजना पर उनकी टीम काम कर रही है। उन्होंने यहां तक कहा था कि कानूनी जानकारों से इस बारे में सलाह ली जा रही है। प्रधानमंत्री ने बताया था नई भारतीय न्याय संहिता में इस तरह का कुछ प्रावधान किया गया है।

सवाल है कि नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार बने चार महीने हो गए। पहले सौ दिन की कथित उपलब्धियों का भी भारी ढिंढोरा पीटा गया लेकिन ईडी द्वारा जब्त पैसा लोगों को लौटाने का क्या हुआ? प्रधानमंत्री ने कहा था कि ईडी ने डेढ़ लाख करोड़ रुपए जब्त किए हैं और पैसे इधर उधर पड़े हैं। सरकार बनने के चार महीने बाद भी लग रहा है कि कानूनी राय लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है तभी लोगों के पैसे लौटाने की कहीं कोई चर्चा नहीं है। कहीं ऐसा न हो जाए कि यह भी विदेशों में जमा काला धन लाने की योजना जैसा जुमला साबित हो?

यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इस मामले में कोई स्पष्टता नहीं है। पहला पेंच तो यह है कि अगर भारत में रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध है तो जमीन देकर नौकरी लेने वालों को क्या सजा नहीं होगी? अगर अपराध साबित होता है तो लालू प्रसाद के साथ वे लोग भी तो अपराधी होंगे, जिन्होंने नौकरी लेने के लिए जमीन दी थी। क्या उनकी जमीन लौटाई जाएगी और साथ ही सजा भी दी जाएगी? इसी तरह चाहे जितना गरीब हो, अगर किसी ने पैसे देकर शिक्षक की नौकरी ली है तो क्या वह अपराधी नहीं माना जाएगा? दूसरा पेंच यह है कि जिस घोटाले की बात चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री कर रहे थे अगर वह अपराध नहीं साबित होता है और आरोपी बरी हो जाते हैं तो क्या होगा? अंतिम अदालत से फैसला हुए बगैर किसी आरोपी से जब्त किया गया पैसा कैसे बांटा जा सकता है?

सहारा या रोजवैली चिटफंड कंपनी में पैसा जमा करने वालों का पैसा लौटाना अलग बात है। या केरल के सहकारी बैंकों में पैसा जमा करने वालों का पैसा लौटाना अलग बात है। वहां लोगों ने निवेश किया या पैसा जमा किया और कंपनी ने फ्रॉड किया। अगर कंपनी का फ्रॉड नहीं प्रमाणित होता है तब भी जमाकर्ताओं का पैसा लौटाना गलत नहीं होगा। लेकिन कथित घोटाले में तो बहुत तकनीकी समस्या है। गौरतलब है कि रोजवैली चिटफंड में निवेश करने वालों का कुछ पैसा लौटाने की शुरुआत हो गई है। इसके लिए हाई कोर्ट के आदेश पर 2015 में ही एक कमेटी बनाई गई थी और अब नौ साल बाद ईडी द्वारा जब्त किए गए पैसों में से कुछ निवेशकों को 10-10 हजार रुपए वापस किए गए हैं। लेकिन यह बिल्कुल अलग मामला है।  प्रधानमंत्री ने इसका जिक्र नहीं किया था। उन्होंने जिसका जिक्र किया था उस पर अभी तक कोई काम होने की खबर नहीं है।

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