लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर से भाजपा और खास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई तरह के संदेश दिए जा रहे हैं। हालांकि प्रत्यक्ष रूप से कुछ नहीं कहा जा रहा है लेकिन परोक्ष रूप से यानी छायावदी अंदाज में जो बातें कही जा रही हैं उससे अंदाजा लग रहा है कि असली संदेश किसके लिए है। जैसे आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने आदमी के सुपरमैन, फिर देवता बनने और उसके बाद भगवान बनने की इच्छा पर सवाल उठाया। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन सबको समझ में आ गया कि वे किसके लिए कह रहे हैं। ध्यान रहे लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने को अजैविक बताया था और यह भी कहा था कि उनको किसी खास मकसद से भेजा गया है।
बिना इसका प्रत्यक्ष हवाला दिए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है- मानवीय गुणों को विकसित करने के बाद एक मनुष्य अलौकिक बनना चाहता है, ‘सुपरमैन’ बनना चाहता है, लेकिन वह वहां रुकता नहीं है। इसके बाद उसे लगता है कि देवता बनना चाहिए लेकिन देवता कहते है कि हमसे तो बड़ा भगवान है और फिर वह भगवान बनना चाहता है। भगवान कहता है कि वह तो विश्वरूप है तो वह विश्वरूप बनना चाहता है। वहां भी कुछ है क्या रुकने की जगह, ये कोई नहीं जानता है। लेकिन विकास का कोई अंत नहीं है। बाहर का विकास भी और अंदर का विकास भी, यह निरंतर चलने वाली एक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को मानवता के लिए अथक परिश्रम करना चाहिए।