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मोदी के पूर्व मंत्रियों की चिंता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में रहे कई पूर्व मंत्रियों की उम्मीद बढ़ी है। जब से प्रकाश जावडेकर की मुख्यधारा में वापसी हुई है और उनको तेलंगाना का चुनाव प्रभारी बनाया गया है तब से दूसरे कई पूर्व मंत्री उम्मीद कर रहे हैं कि उनको भी कोई न कोई जिम्मेदारी मिलेगी। प्रकाश जावडेकर तो राज्यसभा सदस्य हैं लेकिन लोकसभा चुनाव जीते ऐसे सांसद, जिनको जुलाई 2021 में सरकार से हटाया गया था उनमें से कई इस चिंता में हैं कि उनको अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में टिकट मिलेगी या नहीं। उनमें से किसी को यह उम्मीद तो नहीं है कि फिर से मोदी सरकार में मंत्री बन जाएंगे लेकिन किसी तरह से लोकसभा की सीट बच जाए यह उम्मीद सब कर रहे हैं।

बिहार के लोकसभा सांसद राजीव प्रताप रूड़ी का मोदी सरकार में अच्छा समय नहीं बीता है। वे मई 2014 में मंत्री नहीं बनाए गए थे। अगस्त में हुई फेरबदल में व मंत्री बनाए गए तो फिर 2017 में हटा दिए गए और 2019 में दोबारा सरकार बनी तो चुनाव जीत कर आने के बावजूद मंत्री नहीं बने। अब उन्होंने केंद्र सरकार में कोई पद मिलने की उम्मीद छोड़ दी है। तभी वे बिहार में बहुत सक्रिय हैं। वे पार्टी से अलग अपने कार्यक्रम कर रहे हैं और हर जिले का दौरा कर रहे हैं। वे अपने को बिहार में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश कर रहे हैं। उससे पहले उनके समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि उनको भाजपा संगठन में कोई जिम्मेदार मिले।

बिहार के ही दूसरे नेता रविशंकर प्रसाद हैं, जिनको जुलाई 2021 की फेरबदल में सरकार से हटाया गया। थोड़े समय तक हाशिए में रहने के बाद वे फिर से सक्रिय हैं और अहम मसलों पर पार्टी की राय रखने के लिए उनको आगे किया जा रहा है। वे पहले की तरह पार्टी प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि उनकी पटना साहिब सीट पर खतरा है। पार्टी के युवा नेता रितुराज सिन्हा इस सीट के दावेदार बताए जा रहे हैं। तभी रविशंकर प्रसाद अपने को प्रासंगिक बनाए रखने के प्रयास में हैं।

बिहार से सटे झारखंड में जयंत सिन्हा भी चिंता में हैं। उनको 2019 में बनी मोदी की दूसरी सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था। अब उनको अपनी लोकसभा सीट की चिंता सता रही है। माना जा रहा है कि उनके पिता यशवंत सिन्हा की भाजपा और मोदी विरोधी राजनीति की वजह से वे हाशिए में गए हैं। वे कभी संगठन के आदमी नहीं रहे हैं इसलिए संगठन में कोई भूमिका मिलने वाली नहीं है। तभी वे किसी तरह से सीट बचाए रखने की उम्मीद कर रहे हैं। मुख्तार अब्बास नकवी की राज्यसभा सदस्यता गई और उसके साथ ही मंत्री पद भी चला गया। कहीं राज्यपाल या उप राज्यपाल बनने की संभावना भी खत्म हो गई और अभी तक संगठन में कोई पद नहीं मिला है। उत्तर प्रदेश के पुराने नेता संतोष गंगवार मंत्री पद से हटने के बाद से बियाबान में हैं लेकिन इस बार लग रहा है कि उनको लोकसभा की टिकट नहीं मिलेगी।

By NI Political Desk

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